मंत्री हरकचंद ओस्तवाल ने समिति के कार्यक्रमों तथा उपाध्यक्ष कैलाश सिंघी ने अणुव्रत नियमों की जानकारी दी। तेरापंथ सभा अध्यक्ष कन्हैयालाल गिडिय़ा, ट्रस्ट अध्यक्ष बहादुर सेठिया, माणकचंद मुथा, दीपचंद नाहर, सिद्धार्थ शर्मा व प्रकाश लोढ़ा ने विचार व्यक्त किए। आभार उपाध्यक्ष शांतिलाल पोरवाल ने जताया।
—– अपराध को भूलना कठिन
बेंगलूरु. कुंथुनाथ जैन संघ श्रीनगर के आराधना भवन में जैनाचार्र्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने धर्मसभा में कहा कि किसी के अपराध को वचन से क्षमा कर देना आसान है किंतु वचन से क्षमा कर देने के बाद उसे मन से भूल जाना अत्यन्त ही कठिन है। उन्होंने कहा कि वचन से क्षमा कर देने के बाद भी मन के किसी कोने में अपराधी के अपराध की स्मृति रह जाती है, परिणामस्वरूप कभी उसकी पुन: स्मृति हो जाती है और क्षमा कर देने के बाद भी हमें वह व्यक्ति अपराधी नजर आता है। आचार्य ५ व ६ मई को चिकपेट में तथा 7 व 8 मई को बसवेश्वर में रहेंगे।
बेंगलूरु. कुंथुनाथ जैन संघ श्रीनगर के आराधना भवन में जैनाचार्र्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने धर्मसभा में कहा कि किसी के अपराध को वचन से क्षमा कर देना आसान है किंतु वचन से क्षमा कर देने के बाद उसे मन से भूल जाना अत्यन्त ही कठिन है। उन्होंने कहा कि वचन से क्षमा कर देने के बाद भी मन के किसी कोने में अपराधी के अपराध की स्मृति रह जाती है, परिणामस्वरूप कभी उसकी पुन: स्मृति हो जाती है और क्षमा कर देने के बाद भी हमें वह व्यक्ति अपराधी नजर आता है। आचार्य ५ व ६ मई को चिकपेट में तथा 7 व 8 मई को बसवेश्वर में रहेंगे।
————– वीरों का धर्म है जैन
बेंगलूरु. विल्सन गार्डन स्थित जैन स्थानक में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि जैन धर्म वीरों का धर्म है। जो वीर होता है, वही भगवान महावीर के बताए गए व्रत नियम का पालन कर सकता है। उन्होंने कहा कि चाहे कैसी भी विकट परिस्थिति आ जाए, लेकिन साधक को अपने नियम में दृढ़ बना रहना चाहिए। संकट साधक के लिए परीक्षा की घड़ी होती है, उसी समय अडिग रहना जरूरी है। ‘प्राण जाए पर वचन न जाएÓ वाली उक्ति को जीवन में चरितार्थ करना होगा। रविवार को सामूहिक सामायिक आराधना के तहत प्रात: 8 बजे विशेष प्रवचन होगा।
बेंगलूरु. विल्सन गार्डन स्थित जैन स्थानक में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि जैन धर्म वीरों का धर्म है। जो वीर होता है, वही भगवान महावीर के बताए गए व्रत नियम का पालन कर सकता है। उन्होंने कहा कि चाहे कैसी भी विकट परिस्थिति आ जाए, लेकिन साधक को अपने नियम में दृढ़ बना रहना चाहिए। संकट साधक के लिए परीक्षा की घड़ी होती है, उसी समय अडिग रहना जरूरी है। ‘प्राण जाए पर वचन न जाएÓ वाली उक्ति को जीवन में चरितार्थ करना होगा। रविवार को सामूहिक सामायिक आराधना के तहत प्रात: 8 बजे विशेष प्रवचन होगा।