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दीक्षार्थी बंधुओं का बहुमान संयम तेरी सांस हो, सेवा तेरी तड़पन हो, गुरु आज्ञापालन प्राण हो, ज्ञान-ध्यान-स्वाध्याय तेरी मूल पुंजी हो, जैन धर्म से प्राणी मात्र का कल्याण हो, यही तेरा सपना हो, यही तेरा सपना हो
बेंगलूरु. आचार्य जिनसुंदर सूरीश्वर की निश्रा एवं जैनसंघ त्यागराज नगर, बेंगलूरु के तत्वावधान में मंड्या निवासी मुमुक्षु बंधु यशपाल कुमार एवं दावणगेरे निवासी तरुण कुमार की भव्य शोभायात्रा निकली। साथ ही अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। सर्वप्रथम आचार्य प्रवचन के हुए। उसके पश्चात संघ के वरिष्ठ सदस्य प्रकाश मेहता ने बताया कि संयम पथ पर चलना अवश्य ही दुश्कर कार्य हैं। परन्तु बाधाएं सहारा बनती हैं। उनसे हमारी राहें अच्छे की ओर मुड़ जाती हैं।
दीक्षार्थी बंधुओं को शुभकामनाएं देते हुए मेहता ने ‘संयम तेरी सांस हो, सेवा तेरी तड़पन हो, गुरु आज्ञापालन प्राण हो, ज्ञान-ध्यान-स्वाध्याय तेरी मूल पुंजी हो, जैन धर्म से प्राणी मात्र का कल्याण हो, यही तेरा सपना हो, यही तेरा सपना हो…गीतिका पेश की। तत्पश्चात दोनों ही मुमुक्षुओं ने उनको संयम जीवन अंगीकार करने कि प्रेरणा कैसे प्राप्त हुई? इस बाबत अपने विचार वहां उपस्थित श्रीसंघ के साथ साझा किए। अंत में संघ के ट्रस्टियों द्वारा दीक्षार्थियों का माल्यार्पण, श्रीफल से बहुमान किया गया।