बीच में टोका-टोकी नहीं करते। इस घटना से प्रेरणा लेकर जब कोई व्यक्ति बात कह रहा हो तो उसे ध्यान से सुनना चाहिए।अन्य मनस्क होकर किसी की बात मत सुनो। सफल वक्ता किसी से पूछता नहीं कि उसकी बात सामने वाले को कैसी लगी बल्कि वह आंखों से बोलता है और सामने बैठे लोगों की आंखें देख कर पता लगा लेता है कि उनको रस आ रहा है या नहीं।
मुनि ने कहा कि गौतम स्वामी का जीवन इतना निर्मल था कि जरा सा भी अभिमान उनके जीवन में नहीं था। संतों के पास श्रुत और चरित्र रूपी दो कोहिनूर हीरे होते हैं। जो इनके होने पर भी इन्हें संभाल नहीं पाता, स्वयं की आत्मा का कल्याण करते हुए अभिमान कर जाता है, वह कोहिनूर के होते हुए भी कंगाल बना रहता है। निर्मल चरित्र का पालन आत्म कल्याण के लिए है, अभिमान करने के लिए नहीं।
इस मौके पर देवराज खींचा, आनंद कोठारी, मोहनलाल चोपड़ा एवं श्राविकाओं में किरणबाई मरलेचा, ललिता सांखला, माया कोठारी प्रांजल चोरडिया, चंचल चोपड़ा, उपस्थित थीं। प्रचार प्रसार मंत्री प्रेम कुमार कोठारी ने बताया कि संघ मंत्री मनोहर लाल ने संचालन किया।