अगर हम अपने विचार, व्यवहार, भावों को सुंदर व शालीन बना लेते हैं तो न केवल आज संवरेगा बल्कि आने वाला कल अति शानदार व अति सुंदर होगा। साध्वी ने कहा एक दिन भी जी मगर उल्लास बनकर जी। जिन्दगी को अगर मधुमास बनाना है, उल्लासमय बनाना है, जीवन मे प्रेम व मिठास घोलना है, रिश्तों को एक दूसरे के करीब लाना है तो उनका एक ही रास्ता है-सकारात्मक सोच। सकारात्मक सोच रखोगे तो आपका दिमाग आपके नियंत्रण में रहेगा, आप मन व वाणी से शांत व प्रफुल्लित रहेंगे।
आप जो कुछ कहेंगे उस बात में दम होगा। साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी समत्वयशा ने शांतिनाथ स्तवन किया। साध्वी मैत्रीप्रभा ने जप अनुष्ठान किया।