उन्होंने कहा कि राज्य में बजरी मांग 45 लाख टन तक पहुंच गई है। लेकिन अभी 35 लाख टन बजरी की आपूर्ति संभव हो रही है। मांग के अनुपात में आपूर्ति कम होने से बजरी के दाम में उछाल आ रहा है। बजरी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में खदानों को अनुमति देना अनिवार्य है। अनुमति देने का अधिकार जिला प्रशासन से लेकर पंचायतों को देने पर इस समस्या का स्थाई समाधान संभव होगा।
उन्होंने कहा कि पत्थर खदानों की अनुमति देने के लिए जिला स्तर पर प्राधिकरण का गठन किया गया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। खदानों से पत्थर निकालना तथा जैली क्रशर चलाने के लिए अब अलग-अलग अनुमति लेना अनिवार्य है।
कांग्रेस की वीणा अच्चय्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोडग़ु जिले में 4 जैली क्रशर को अनुमति दी गई है। इनमें से अभी 2 सक्रिय हैं। तीन नई आवेदन प्राप्त हुए हैं। जिले की कावेरी समेत 17 उपनदियों से 68 हजार टन बजरी निकालने की अनुमति प्रदान की गई है। अन्य जिलों से कोडग़ु जिले को 1.2 मीट्रिक टन एम सैंड की आपूर्ति हो रही है।