सीखे अपना लाइफ मैनेजमेंट-डॉ. दर्शनप्रभा
बेंगलूरु. गुरु ज्येष्ठ पुष्कर दरबार में विराजित साध्वी डॉ. समृद्धि ने कहा कि अपने आप से सवाल पूछो हू आई एम, मैं कौन हूं। मुझे कहां जाना है मैं यहां क्यों आया हूं अपने आपसे प्रश्न करना है सेल्फ ऑब्जरवेशन करना है। तभी हम जागृत रह सकते हैं। इस मानव भव का सार निकाल सकते हैं। इस दुनिया के अंदर महापुरुष हुए हैं होते रहेंगे और आगे भी होंगे जो होंगे उनको हम देख नहीं सकते है। उन्हें पहचानने की अंतर्दृष्टि चाहिए। डॉ. दर्शन प्रभा ने कहा इस दुनिया की रीत है कि मरने के बाद ही पूछती है। मरने के बाद हम हर महापुरुष की प्रतिमा बनाती हैं, मंदिर बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। जीते जी तो जिसे सूली पर चढ़ाते हैं महावीर के कानों में कीलें ठोकते हैं यह दुनिया भी गजब है। जब राम जी चले गए तो सारी दुनिया राम नाम का जप कर रही है पर जब वे थे तब लोग उनकी भी आलोचना करते थे। अब सीताराम सीताराम कर रहे हैं पर जब थे तब सीता पर अंगुली उठाते रहे। जब तक जीवित रहे तब तक उद्धव जैसे लोगों ने यह कहा कि कृष्ण गोपियों के पीछे पागल है लेकिन आज उन्हीं गोपियों राधा को याद कर कर के लोग अपनी जिव्हा को निर्मल करते हैं और अपने भावों के पापों को काटने उनके पुण्य प्रभाव का उपयोग करते हैं। मरने के बाद पूछना मनुष्य की पुरानी आदत है। यह अज्ञानता है लेकिन अज्ञानता का प्रदर्शन की वजह से ही वह मरने के बाद महापुरुषों की पूजा शुरु कर देती हैं।
बेंगलूरु. गुरु ज्येष्ठ पुष्कर दरबार में विराजित साध्वी डॉ. समृद्धि ने कहा कि अपने आप से सवाल पूछो हू आई एम, मैं कौन हूं। मुझे कहां जाना है मैं यहां क्यों आया हूं अपने आपसे प्रश्न करना है सेल्फ ऑब्जरवेशन करना है। तभी हम जागृत रह सकते हैं। इस मानव भव का सार निकाल सकते हैं। इस दुनिया के अंदर महापुरुष हुए हैं होते रहेंगे और आगे भी होंगे जो होंगे उनको हम देख नहीं सकते है। उन्हें पहचानने की अंतर्दृष्टि चाहिए। डॉ. दर्शन प्रभा ने कहा इस दुनिया की रीत है कि मरने के बाद ही पूछती है। मरने के बाद हम हर महापुरुष की प्रतिमा बनाती हैं, मंदिर बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। जीते जी तो जिसे सूली पर चढ़ाते हैं महावीर के कानों में कीलें ठोकते हैं यह दुनिया भी गजब है। जब राम जी चले गए तो सारी दुनिया राम नाम का जप कर रही है पर जब वे थे तब लोग उनकी भी आलोचना करते थे। अब सीताराम सीताराम कर रहे हैं पर जब थे तब सीता पर अंगुली उठाते रहे। जब तक जीवित रहे तब तक उद्धव जैसे लोगों ने यह कहा कि कृष्ण गोपियों के पीछे पागल है लेकिन आज उन्हीं गोपियों राधा को याद कर कर के लोग अपनी जिव्हा को निर्मल करते हैं और अपने भावों के पापों को काटने उनके पुण्य प्रभाव का उपयोग करते हैं। मरने के बाद पूछना मनुष्य की पुरानी आदत है। यह अज्ञानता है लेकिन अज्ञानता का प्रदर्शन की वजह से ही वह मरने के बाद महापुरुषों की पूजा शुरु कर देती हैं।