इससे किसानों को अधिक लाभ देने के साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने की जरूरत है। किसानों को आत्महत्या करने से रोकना होगा है। अगर किसान इसी तरह आत्महत्या करते रहे तो अनाज कौन पैदा करेगा। हजारों की संख्या में किसान भूमि बेच कर रोजगार की तलाश में शहरों का रुख कर रहे हैं। इस स्थिति को बदलना होगा।
हमने किसानों की समस्याओं को करीब से जानने के उद्देश्य से कई जिलों और तहसीलों का दौरा किया है। किसानों ने सबसे पहले उन्हें प्रसंस्करण, विपणन, गोदामों और कोल्ड स्टोरेज की सुविघा उपलब्ध कराने की मांग की है। सभी जिलों और तहसीलों में कृषि उत्पाद विपणन समितियां तो हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी है। सरकार ने मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ५० करोड़ रुपए जारी किए हैं। हरेक एपीएमसी में शीतगृहों और गोदाम की सुविधा होगी। कभी-कभी अनाज का उत्पादन अधिक होता है तो खरीदी के लिए कोई आगे नहीं आता।
प्रदेश में केवल दो ही कृषि इंंजीनियंरिंग कॉलेज हैं। इसकी संख्या अधिक करने की जाएगी। एक दर्जन से अधिक कॉलेज आरंभ करने के लिए सरकार के सामने प्रस्ताव रखा जाएगा। कृषि क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी और तकनीकी का इस्तेमाल करने के लिए इस तरह के कालेजों की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में अनुसधान को अधिक प्रमुखता देने की जरूरत है। प्रदेश में साठ फीसदी सूखी भूमि है और केवल चालीस फीसदी भूमि कृषि योग्य है। गत पांच सालों में दो लाख से अधिक कृषि उपयोग के लिए जलाशय निर्मित कर बारिश के पानी को संरक्षित किया जा रहा है ।
५० हजार से अधिक चेक डैम निर्मित कर ४००० तालाबों को हरा-भरा रखा गया है। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार जैविक कृषि को भी प्रमुखता दे रही है। एक लाख हेक्टेयर में जैविक कृषि की खेती की गई है। अगले तीन सालों में १.५० लाख हेक्टेयर तक इसका विस्तार करने की योजना बनाई है।
इस अवसर पर विधायक एम. अश्विन कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त विभाग), आई.एस.एन. प्रसाद, कृषि विभाग के सचिव एम. महेश्वर राव, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम.एस. नटराज और बेंगलूरु विश्वविद्यालय प्रशासन बोर्ड के सदस्य और अन्य कई अधिकारी उपस्थित थे।
राज्य के 8६ तालुक सूखा प्रभावित: देशपांडे
बेंगलूरु. राजस्व मंत्री आर.वी. देशपांडे ने कहा है कि केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक राज्य के 23 जिलों के 86 तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है।
देशपांडे ने मंगलवार को सूखा पर गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक के बाद कहा कि सूखा प्रभावित तालुकों में पेयजल व पशुचारे की समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने 58 करोड़ रुपए जारी किए हैं। यहां विधायकों के नेतृत्व में कार्यबल का गठन कर नलकूप खुदवाने के लिए हरेक तालुक को 50 लाख रुपए का अनुदान दिया है। राजस्व विभाग से खुदवाए नलकूप के लिए विद्युतीकरण व बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए अलग से धन जारी किया गया है।
उपसमिति की बैठक में इन तालुकों में हुए फसलों के नुकसान के बारे में रिपोर्ट पेश करने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे। कृषि, बागवानी, राजस्व, पशुपालन, पंचायत राज विभाग के अधिकारियों को फसलों के नुकसान, पेयजल की किल्लत तथा पशुचारे की कमी के बारे में संयुक्त सर्वे कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
इस बारे में विवरण मिल जाने के बाद केन्द्र सरकार को सूखे के कारण फसलों को को पहुंचे नुकसान के बारे में फिर से रिपोर्ट पेश की जाएगी। बारिश की कमी के कारण राज्य में 15 लाख हेक्टेयर भूमि में खड़ी कृषि व बागवानी की फसलें सूख गई हैं और इसकी वजह से कुछ 8000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। सूखे के हालात के कारण पेयजल व पशुुचारे का संकट गहराने लगा है और ग्रामीण रोजगार पर भी इसका बुरा असर हुआ है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्रीसे भेंट के दौरान राज्य में अतिवृष्टि व अनावृष्टि के कारण कुल 12 हजार करोड़ रुपए की क्षति का पूर्ण विवरण पेश किया गया। देशपांडे ने कहा कि हमारी अपील पर मंगलवार को विशेषज्ञों के दो दलों को राज्य में नुकसान का जायजा लेने के लिए भेजा गया है। इनमें से पहली टीम 12 व 13 सितम्बर को कोडुगू जिले में बाढ़़ व भू-स्खलन के कारण हुए नुकसान का अध्ययन करेगा, जबकि अधिकारियों की दूसरी टीम राज्य के तटीय जिलों व हासन जिले में हुए नुकसान का जायजा लेगी। इसके बाद दोनों टीमों के सदस्य 14 सितम्बर को राज्य के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करने के बाद केन्द्र सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।