आचार्य ने कहा कि सौंदर्य मतलब सुंदरता और बोध मतलब ज्ञान। यानी सुंदरता की समझ या ज्ञान ही सौंदर्य बोध है। हर किसी में सौंदर्यबोध की भावना होनी चाहिए। बाहरी सुंदरता उम्र के साथ ढल जाती है मगर आंतरिक सुंदरता स्थायी रहती है।
आचार्य ने कहा की बच्चों को बताएं कि वह किसी व्यक्ति के आचार- विचार और व्यवहार के आधार पर ही पसंद करें। कोई व्यक्ति अगर चेहरे से सुंदर है तो जरूरी नहीं कि वह गुणवान भी होगा। इस नाते हर अभिभावक को असली सौंदर्य के बारे में बताना चाहिए।