उन्होंने कहा कि केन्द्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद ईवीएम के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा, दिल्ली नगर निगम के चुनाव सहित देश के विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों के परिणाम आने के बाद ईवीएम को लेकर कई तरह की आपत्तियां सामने आई हैं। इसलिए उन्होंने इस मसले पर तकनीकी विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया। विशेषज्ञों ने ईवीएम के दुरुपयोग की गुंजाइश होने की बात कही है।
निर्वाचन आयोग के संविधानबद्ध निष्पक्ष संस्था होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने चहेतों को आयोग में बिठाकर अपनी मर्जी से ईवीएम का दुरुपयोग करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमरीका, जर्मनी जैसे विकसित देशों में भी ईवीएम को खारिज कर फिर मतदान पत्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल के चुनाव परिणामों को देखकर हमें भी इन मशीनों की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न हो रहा है। लिहाजा राज्य सरकार चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतपत्रों का इस्तेमाल करने की अपील करेगी।
एक सवाल के जवाब में सिद्धरामय्या ने कहा कि गुजरात व कर्नाटक के चुनाव में दिन-रात का अंतर है।
वहां की समस्याएं व मसले अलग हैं और हमारे यहां के मसले उससे भिन्न हैं। लिहाजा वहां के परिणामों का यहां असर नहीं पड़ेगा। वहां के नतीजे अभी आए नहीं हैं। चुनावी सर्वेक्षणों के आधार पर चुनाव परिणाम तय करना कहां तक उचित हैं? कई बार मतदान केंद्रों का सर्वेक्षण गलत साबित हो जाता है।
कांग्रेस ने पहले ही मानी हार
भाजपा ने कहा कि 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ईवीएम का विरोध करके और मतपत्रों का फिर से इस्तेमाल करने की मांग करके कांग्रेस ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने से पहले ही अपनी हार मान ली है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक एस. सुरेश कुमार ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जी. परमेश्वर और परिवहन मंत्री के बयानों से यह पुष्टि होती है कि कांग्रेस नेता 2018 के चुनाव में मिलने वाली हार की आशंका से घबरा गए हैं। ईवीएम का विरोध अतार्किक और अवसरवादी है।
उन्होंन कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल करना व मत डालने से पहले परिचय पत्र दिखाना अनिवार्य करना चिरलंबित चुनाव सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आरोप लगाया कि मतपत्रों को दोबारा शुरू करने की मांग करके कांग्रेस फिर से अनाचार, गलत चुनावी तौर तरीकों की वापसी चाहती है।