scriptधारवाड़ तालुक में चुकंदर उत्पादन समझौते पर हस्ताक्षर | Signature of sugarcane production agreement in Dharwad taluka | Patrika News
बैंगलोर

धारवाड़ तालुक में चुकंदर उत्पादन समझौते पर हस्ताक्षर

खनन, भू विज्ञान एवं जिला प्रभारी मंत्री विनय कुलकर्णी ने कहा है कि जिले के किसानों के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार चिंता कर यहां के किसानों तथा

बैंगलोरAug 28, 2017 / 10:50 pm

शंकर शर्मा

Sugar beet production

Sugar beet production

 धारवाड़. खनन, भू विज्ञान एवं जिला प्रभारी मंत्री विनय कुलकर्णी ने कहा है कि जिले के किसानों के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार चिंता कर यहां के किसानों तथा नीदरलैण्ड मूल की नरीश इंक कम्पनी के साथ समझौता करवा कर इस क्षेत्र में मीठा चुकंदर उगाने को प्रोत्साहन दे रही है। बागलकोट बागबानी विश्वविद्यालय तथा बागवानी विभाग उचित मार्गदर्शन करेंगे। यहां के मौसम तथा मिट्टी के गुण चुकंदर उगाने के लिए उचित होने से और अनेक कम्पनियां समझौता करने आगे आई हैं।


शहर के जिला कृषि प्रशिक्षण केंद्र के सभाभवन में बागबानी विभाग, बागबानी विश्वविद्यालय, नरीश इंक कम्पनी तथा कायकयोगी बागबानी रैयत उत्पादक कम्पनी की ओर से आयोजित निजी, सार्वजनिक (पीपीपी) सहभागिता के संपूर्ण बागवानी विकास योजना के तहत चकुंदर फसल के वैज्ञानिक उत्पादन तथा संरक्षण के बारे में एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन कर बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि चुकंदर की फसल केवल चार माह में बहुत कम पानी का इस्तेमाल कर उगाए जाने वाला उत्पाद है। बाजार में पुख्ता दाम उपलब्ध कर खरीदने के लिए नीेदरलैण्ड मूल की नरीश इंक कम्पनी आगे आई है। चुकंदर के वाणिज्य उत्पादकों को तैयार करने के लिए यहीं पर संस्करण इकाई भी स्थापित होगी। किसानों को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर कम खर्च में फसल उगाने की आदत बना लेनी चाहिए। यहां की जमीन पर प्रति एकड़ लगभग दस टन चुकंदर उगा कर 70 से 80 हजार रुपए आय प्राप्त कर सकते हैं। समझौता करने वाली कम्पनी को किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।

खरीदी राशि के भूगतान में देरी नहीं करनी चाहिए। नाप, तौल में धोखा नहीं देना चाहिए। बागलकोट बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीएल महेश्वर ने कहा कि पूर्व में हरित क्रांति को सफल बनाने वाले भारत में अब एक और आहार एवं किसान आय बढ़ोतरी की क्रांति होनी चाहिए। सहकारिता के सिध्दांत पर इस बढ़ोतरी का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में कानून को और अधिक विकेंद्रीकृत कर सरकार को ही किसान की उपज कम्पनी ते जरिए नए कदम बढ़ा रही है। ताड़, कुकम्बर फसलों में यह प्रयोग किया गया है। बेलगावी, धारवाड़ तथा हावेरी जिलों की जमीन तथा मौसम मीठा चुकंदर उत्पादन के लिए पूरक है। गन्ने की तुलना में 8 0 फीसदी कम पानी के इस्तेमाल के साथ चुकंदर उगा सकते हैं।


किसानों को इस दिशा में उत्कृष्ट गुणवत्ता का प्रशिक्षण देकर उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए एक केंद्र की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने 36 करोड़ रुपए बागवानी विश्वविद्यालय को दिया है। आगामी दिनों में यहां चुकंदर उगाने की क्रांति ही होगी।


नरीश इंक कम्पनी की निदेशक राजश्री डीके ने कहा कि चुकंदर फसल को वाणिज्य फसल के स्तर पर ले जाया जा रहा है। तिरुवनंतपुर के अनुसंधान केंद्र तथा बागलकोट बागवानी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में यहीं गतिविधियां की जाएंगी। किसानों को चुकंदर की गुणवत्ता के आधार पर खरीदी दाम निर्धारित कर बाजार का विश्वास पुख्ता किया जाएगा।


इस दौरान कायकयोगी रैयत उत्पादक कम्पनी के अध्यक्ष द्यामण्णा रेवण्णवर तथा नरीश इंक कम्पनी की राजश्री डीके ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए।


जिला पंचायत उपाध्यक्ष शिवानंद करिगार, जिला कृषक समाज के अध्यक्ष बीएम कुंदगोल, एचसी मोरब, चन्नबसय्या हुब्बल्लीमठ, अपर बागवानी निदेशक डॉ. प्रकाश सोबरद, बागवानी उपनिदेशक एसबी दिड्डिमनी, डॉ. रामचंद्र नायक, डॉ. श्रीकांत अट्टलूरी, वेणु, वेंकटकृष्णन, वरिष्ठ सहायक बागवानी निदेशक आरटी हिरेमठ, डॉ. एलएन हेगड़े समेत कई उपस्थित थे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो