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बैंगलोर

सीकर के छात्र ने बनाया नेत्रहीनों की मदद के लिए डिवाइस

डिवाइस प्रणाली और विधि को मिला पेटेंट

बैंगलोरMar 30, 2024 / 05:51 pm

Yogesh Sharma

Mayank Kabara

सीकर के छात्र ने बनाया नेत्रहीनों की मदद के लिए डिवाइस

बेंगलूरु. आईआईआईटी-बी में अंतिम वर्ष आईएमटेक के छात्र ने एक ऐसे उपकरण का पेटेंट प्राप्त कर उपलब्धि हासिल की है जो दृष्टिबाधित छात्रों पढ़ाई में मदद करेगा। राजस्थान में सीकर जिले के कूदन निवासी छात्र मयंक काबरा ने अपने नवाचार का नाम दृृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता के लिए प्रणाली और विधि रखा है। वर्तमान में कई छात्र दृष्टिबाधित हैं और स्कूल के माहौल में अपने को अन्य सामान्य सहपाठियों के साथ अपनी शिक्षा जारी नहीं रख सकते हैं। इसके बावजूद इस समस्या का फिलहाल कोई समाधान नहीं है या तो छात्रों को बहुत महंगा उपकरण खरीदकर अलग से अध्ययन करना होगा या अपनी शिक्षा बंद करनी होगी।

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काबरा वर्तमान में ज्यूरिख में विशेषज्ञता के साथ ईटीएच पर अपनी इंटर्नशिप कर रहे हैं। अपने नवाचार का खुलासा करते हुए कहा कि उंगली पर लगाए जाने वाले उपकरण की तकनीक उन्होंने विकसित की है और यह दृष्टिबाधित छात्रों के लिए एक सस्ता प्रभावी समाधान है। डिवाइस हैप्टिक तकनीक, रीयल-टाइम डिजिटल बोर्ड इंटरैक्शन और स्पर्शनीय ब्रेल फीडबैक के संयोजन के माध्यम से संचालित होती है।
काबरा ने ‘राजस्थान पत्रिका’ को बताया कि डिवाइस सेंसर मॉड्यूल कक्षा के डिजिटल बोर्ड से लाइव डेटा कैप्चर करता है। “यह उपकरण दृष्टिबाधित लोगों की उंगलियों पर लगाया जाएगा, जहां लाइव कक्षा में, जब भी शिक्षक डिजिटल बोर्ड पर लिखना शुरू करेंगे, तो डिवाइस व्हाइटबोर्ड के कर्सर से फीडबैक प्राप्त करेगा और उस व्यक्ति के हाथ को आगे बढऩे के लिए आदेश देगा। हैप्टिक तकनीक का उपयोग कर एक योजना डिवाइस पर पॉइंटर की वर्चुअल मैपिंग, लेखन को टेक्स्ट स्ट्रीम में परिवर्तित किया जाएगा और माइक्रोकंट्रोलर के माध्यम से डिवाइस पर भेजा जाएगा। इसमें ब्रेल बिंदु लगे हुए हैं जहां यह आपको व्हाइटबोर्ड पर लिखे गए पाठ का एहसास कराएगा। दूसरी ओर हम बोर्ड पर खींची गई आकृतियों की रूपरेखा को भी दोहरा सकते हैं और प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि तकनीक उंगली पर खींची गई आकृति की अनुभूति देती है।

सृजन के पीछे की प्रेरणा के बारे उन्होंने कहा कि प्राथमिक प्रेरणा दृष्टिबाधित छात्रों को अपने दृष्टिबाधित साथियों के साथ समान स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों से मिली। मौजूदा सहायक प्रौद्योगिकियों की उच्च लागत और उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा सेटिंग्स में पूरी तरह से एकीकृत करने की इच्छा ने इस अभिनव, लागत प्रभावी समाधान के विकास को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि एक माइक्रोकंट्रोलर है जो डिवाइस के मस्तिष्क के रूप में कार्य करता है, डिजिटल बोर्ड से इनपुट संसाधित करता है और हैप्टिक फीडबैक और ब्रेल डिस्प्ले तंत्र को नियंत्रित करता है। एक संचार मॉड्यूल डिजिटल बोर्ड और उंगली पर लगे डिवाइस के बीच निर्बाध वायरलेस संचार सुनिश्चित करता है, जिससे वास्तविक समय पर बातचीत की सुविधा मिलती है।

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