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बैंगलोर

लघु उद्यमों का पटरी पर लौटना आसान नहीं

कर्नाटक लघु उद्योग महासंघ ने की विशेष पैकेज की मांग

बैंगलोरJun 23, 2021 / 03:49 pm

Sanjay Kulkarni

लघु उद्यमों का पटरी पर लौटना आसान नहीं

लघु उद्यमों का पटरी पर लौटना आसान नहीं

बेंगलूरु. लगातार लॉकडाउन ने छोटे उद्योग धंधों की कमर तोड़ दी है और इस क्षेत्र का पटरी पर लौटना आसान नहीं होगा। राज्य सरकार सभी वर्गों की सहायता कर रही है। इसी तरह लघु उद्यमियों को भी रियायतें देकर इस क्षेत्र को बचाने में मदद कर सकती है। कर्नाटक लघु उद्योग महासंघ (कासिया) ने यह मांग की है।
महासंघ के अध्यक्ष केबी अरसप्पा ने मंगलवार को विभिन्न जिलों के लघु उद्योग संघों के पदाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक में भाग लेते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण राज्य की 20 फीसदी लघु उद्योग इकाइयां बंद हो गई हैं।
राज्य के विभिन्न जिलों के 8 लाख 75 हजार लघु उद्यमियों ने इस क्षेत्र में करोड़ों रुपयों का निवेश किया है। लघु उद्योगों से 1.५ करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। लॉकडाउन के कारण इस क्षेत्र के 10 से 15 लाख श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। लघु उद्योगों को आधे कर्मचारियों के साथ काम करने की शर्त पर अनुमति मिली है। इस क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों के सामूहिक टीकाकरण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस विषम परिस्थिति में बिजली और पेट्रोलियम के खर्च में वृद्धि के कारण लघु उद्यमियों की परेशानियां और बढ़ती जा रही हैं। संपत्ति कर में भी लघु उद्योगों को कोई राहत नहीं मिली है। इस क्षेत्र को पुन: पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार को लघु उद्यमियों को विशेष पैकेज के अंतर्गत रियायतें देनी चाहिए। केवल राजस्व संग्रहण के लिए लघु उद्यमियों को परेशान करना तार्किक नहीं है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का रिर्टन भरने में भी लघु उद्यमियों को कई रियायतों की दरकार है।
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