भाव से आत्मा शुद्ध और पवित्र होती है-साध्वी भव्यगुणाश्री
कॉक्सटाउन में धर्मसभा का आयोजन
भाव से आत्मा शुद्ध और पवित्र होती है-साध्वी भव्यगुणाश्री
बेंगलूरु. कॉक्सटाउन सिंधी कॉलोनी में विराजित साध्वी भव्यगुणाश्री ने कहा कि हमारे जीवन में भाव की प्रधानता रहती है। कोई भी कार्य करें अगर भाव शुद्ध होंगे तो शुद्ध फल मिलेगा। बिना भावना के कोई कार्य करेंगे तो फल की प्राप्ति कठिन है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भोजन में सब मसाले नजर आते हंै लेकिन नमक नजर नहीं आता। बिना नमक का भोजन कितना भी स्वादिष्ट हो वह बेस्वाद लगता है। ठीक वैसे ही हमारे भाव होते हैं तो उसके परिणाम अच्छे मिलते हैं। बिना भाव के परिणाम शून्य बन जाते हैं। भाव से इंसान को सुख मिलता है। आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। आत्मा निर्मल हो जाती है। जिससे व्यक्ति का स्वभाव शुद्ध सरल पवित्र होता चला जाता है। व्यक्ति के मानसिक परिणाम शुद्ध हो जाते हैं।
साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि रात को सोने से पहले कुछ चंद मिनटें अपने आप को परखने के लिए जरूर दें,आंखें बंद करके आज के अपने सभी कर्मों का जायजा जरूर लेना कि मैंने जो भी कर्म किए वह कैसे थे। अच्छे या बुरे, क्या आज का दिन मैंने सहज, ईमानदारी व पवित्रता से जिया है। क्या आज का दिन पूरी तरह निर्दोष भाव से बिताया है। कहीं आज मेरे कार्य और मेरे विचारों में कोई दोष तो नहीं था, कहीं आज मेरी वजह से कोई परेशान तो नहीं हुआ। कहीं मेरे विचार हल्के दर्जे के, स्वार्थ से पूर्ण और अपवित्र तो नहीं थे। बस रात को सोते वक्त कुछ मिनटों में धैर्य पूर्वक पूरी इमानदारी से अपने आप को टटोल लेना और यदि कोई गलती हो भी गई हो तो उसे सुधार लेना, प्रायश्चित कर लेना, और संकल्प कर लेना कि भविष्य में कभी गलती को पुन: नहीं दोहराया जाएगा। गौतमचंद लूणीया ने बताया कि मुनिसुव्रत स्वामी जैन श्वेेताम्बर मूर्तिपूजक कंटोनमेंट के अध्यक्ष राजमल गुलेच्छा, मोहनलाल बोहरा, किशनलाल गुलेच्छा ने केंटोनमेंट पधारने की विनती की। कांताबाई गुलेच्छा, ममता गुलेच्छा, विमला गुलेच्छा, कल्पना लूणिया, सुशील बाफना ने दर्शन वंदन का लाभ लिया। साध्वीवृन्द सोमवार को सुबह विहार कर राजाजीनगर पहुंचेंगी।
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