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बैंगलोर

आत्मा को मलिन बनाने वाला तत्व कषाय

विजयनगर स्थानक में साध्वी मणिप्रभा ने कहा कि ब्राह्य असावधानी बरतने से व्यक्ति अपने जीवन की हानि करता है परंतु यह तो केवल एक जीवन की ही हानि है।

बैंगलोरSep 25, 2018 / 04:38 am

शंकर शर्मा

आत्मा को मलिन बनाने वाला तत्व कषाय

आत्मा को मलिन बनाने वाला तत्व कषाय

बेंगलूरु. विजयनगर स्थानक में साध्वी मणिप्रभा ने कहा कि ब्राह्य असावधानी बरतने से व्यक्ति अपने जीवन की हानि करता है परंतु यह तो केवल एक जीवन की ही हानि है। यदि आध्यात्मिक क्षेत्र में असावधानी बरत ली जाए तो व्यक्ति जन्म जन्म की हानि करता है।

अनेक जन्म मरण करने पड़ते हैं, यदि वह अपने कर्मों का क्षय करता हुआ आगे बढ़ता है तो निश्चित ही मोक्ष प्राप्त करता है और यदि वह उन कर्मों का उपशम करेगा तो उसका पतन होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि वह कर्म कभी भी उदय में आ सकता है और यदि उदय में आ गया तब उसे कई जन्म मरण के चक्कर में फंसना पड़ता है। साध्वी आस्था ने कहा कि आत्मा को मलिन बनाने वाला तत्व कषाय है। ये चार कषाय क्रोध, मान, माया, लोभ आत्मा को विकलांग बना रहे हैं। जैसे क्रोधी व्यक्ति को कुछ दिखता नहीं। यदि सामने में भी कोई वस्तु हो तो क्रोध में उसे दिखाई नहीं देती।

हितकारिणी सभा का धरना २ को
बेंगलूरु. हितकारिणी सभा ने छलवादी व मादिगा समुदाय को आरक्षण देने की मांग पर २ अक्टूबर को फ्रीडम पार्क में धरना देने की चेतावनी दी है। सभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एच.आर.सुरेन्द्र ने सोमवार को बताया कि छलवादी व मादिगा समुदाय की जनसंख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है।

इसके बावजूद दोनों समुदाय शिक्षा, रोजगार और राजनीति के क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं। समुदायों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ दूसरे समुदाय उठा रहे हैं। डॉ. सुरेन्द्र ने सरकार से सदाशिव आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग की। इस दौरान कार्यवाहक अध्यक्ष जे.सी प्रकाश व सचिव एस. विजयम्मा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

विशेषज्ञ समिति ने मंजूर किया प्रस्ताव
बेंगलूरु. प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के विद्यार्थी अगले सत्र से वाणिज्य के साथ समाजशास्त्र की पढ़ाई भी कर सकेंगे। प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा विभाग (डीपीयूइ) की निदेशक सी. शिखा ने बताया कि समाजशास्त्र के व्याख्याताओं ने यह प्रस्ताव रखा था। विशेषज्ञ समिति ने भी प्रस्ताव मंजूर किया है।

लेखाशास्त्र व व्यापार अध्ययन के साथ विद्यार्थी अतिरिक्त विषय के रूप में समाज शास्त्र भी ले सकेंगे।शिक्षाविदों ने डीपीयूइ के इस कदम का स्वागत किया है। द्वितीय पीयूसी पाठ्य पुस्तक समिति के समन्वयक पुरुषात्तम जी. एस. ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए सामाजिक परिप्रेक्ष्य से बाजार को समझना जरूरी है।

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