अंतरिक्ष विभाग के वरिष्ठ शीर्ष वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने वर्ष 1984 में बतौर डिजिटल हार्डवेयर इंजीनियर अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर राडार विकसित करने में उनकी अहम भूमिका रही है।
पिछले कई वर्षों से वे उपग्रहों के लिए अहम तकनीक विकासित में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। उन्हें तबादले का आदेश एक दिन पहले ही मिला। हालांकि, कुछ सप्ताह पूर्व से ही उनके बेंगलूरु स्थानांतरण की अटकलें लगाई जा रही थीं।
कहा जा रहा है कि मिश्रा इसरो द्वारा उपग्रहों के निर्माण में निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिए जाने के विरोध में थे। माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग पे-लोड के लिए सिस्टम डिजाइन, प्लानिंग और विकास उनके जिम्मे था। उन्होंने उस टीम का नेतृत्व कर रहे थे जो भविष्य के रिमोट सेंसिंग उपग्रह का विकास कर रही है। अत्याधुनिक रिमोट सेंसिंग प्रणाली, विभिन्न प्रकार के उन्नत राडार, मिलीमीटर वेव साउंडर और उन्नत स्कैटेरोमीटर का विकास उनके नेतृत्व में हो रहा था।
पूर्व में वो बेंगलूरु स्थित इनोवेशन प्रबंधन कार्यालय का प्रमुख रह चुके हैं। मिश्रा निगरानी उपग्रहों के उपकरणों के फैब्रिकेशन और पे-लोड विकास में निर्णायक भूमिका निभा रहे थे। उनके अचानक तबादले को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
———— डॉ. रामचंद्र नए कार्यवाहक निदेशक
बेंगलूरु. डॉ. सी.रामचंद्र किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी के कार्यवाहक निदेशक नियुक्त किए गए हैं। वे सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। किदवई के निदेशक डॉ. केबी लिंगेगौड़ा ने उन्हें अपना पदभार सौंपा।
बेंगलूरु. डॉ. सी.रामचंद्र किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी के कार्यवाहक निदेशक नियुक्त किए गए हैं। वे सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। किदवई के निदेशक डॉ. केबी लिंगेगौड़ा ने उन्हें अपना पदभार सौंपा।