आसक्ति की अधिकता ने शरीर को रोगों का घर बनाया और उन द्रव्यों ने मन को दोषों का घर बनाया। पेट भर गया पर मन नहीं भरा। द्रव्यों के सेवन पर कहीं कहीं पूर्णविराम करना पड़ता है। पर मन की भूख तो वैसी की वैसी ही रहती है।
पांच इन्द्रियों के विषयों की भूख शरीर की नहीं, मन की है। शरीर की भूख तो अमुक सीमा के बाद मिट जाती है मन की भूख असीम है।
साध्वी ने कहा कि यदि आग को शांत करना हो तो उसका एक मात्र उपाय है उसे इंधन देना बंद कर दो। पंचेन्द्रियों की भूख शांत करने का एक मात्र उपाय है उनको विषय सुख देना बंद कर दो।
साध्वी ने कहा कि यदि आग को शांत करना हो तो उसका एक मात्र उपाय है उसे इंधन देना बंद कर दो। पंचेन्द्रियों की भूख शांत करने का एक मात्र उपाय है उनको विषय सुख देना बंद कर दो।