पंजीकृत लोग 28 सितम्बर को सुबह 9.45 बजे से दोपहर 12 बजे और सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12.30 तक दो बैचों में निम्हांस घूम सकेंगे। हालांकि लोगों को उन वार्डों में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी जहां मरीजों का उपचार होता है। पंजीकरण शुल्क और अन्य जानकारियों के लिए निम्हांस से संपर्क किया जा सकता है।
डॉ. मीना ने कहा कि गत वर्ष यह कार्यक्रम बेहद सफल और प्रभावी रहा था। मानसिक बीमारियों के प्रति लोगों की सोच बदलती है। लक्ष्य है कि भ्रांतियों में न पड़ ज्यादा से ज्यादा पीडि़त उपचार के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारियों को लेकर प्रचलित भ्रांतियों के कारण मरीज चिकित्सक नहीं पहुंच पाते हैं। शॉक ट्रीटमेंट (Shock Treatment) को लेकर भी लोगों में गलत धारणा है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि हर मरीज को शॉक दिया जाता है। चिकित्सकीय भाषा में इसे इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive therapy) कहते हैं।