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बैंगलोर

दीक्षार्थी सुनील जैन बने क्षुल्लक दिग्दर्शन सागर

मुनि पूज्य सागर ने दी पहली दीक्षा, बेंगलूरु में हुई पहली क्षुल्लक दीक्षा

बैंगलोरApr 15, 2018 / 06:46 pm

Ram Naresh Gautam

deeksha
बेंगलूरु. दीक्षार्थी सुनील जैन शनिवार को दीक्षा लेने के बाद ‘क्षुल्लक दिग्दर्शन सागरÓबन गए। अंतर्मुखी परिवार व सकल दिगंबर जैन समाज बेंगलूरु की ओर से श्री विग्नेश्वर सेवा समिति राजाजीनगर परिसर में आयोजित समारोह में मुनि पूज्य सागर ने उन्हें दीक्षा दी। इसके साथ ही बेंगलूरु शहर पहली बार दिगंबर जैन समाज की दीक्षा का साक्षी बना।
शुरुआत प्रात: मंगल स्नान से हुई। इसके बाद दीक्षार्थी सुनील जैन की गाजे-बाजे के साथ बिनोली निकाली गई, जो आयोजन स्थल पर पहुंची। यहां दीक्षार्थी की सकल दिगंबर समाज द्वारा छोर भराई की गई। मुनि पूज्य सागर की निश्रा में रेखा सेठी ने मंगलाचरण किया। श्रावक सरिता व प्रद्युम्न बाकलीवाल ने दीक्षार्थी सुनील के माता-पिता बनने का लाभ लिया। इंदौर से आए तरुण ने ‘जैनÓ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो नित्य देवदर्शन करे, जो पानी छानकर पिए व रात्रि भोज न करे, वही जैन कहलाते हैं। दीक्षा लेना, दीक्षा देना और दीक्षा देखना, तीनों ही पुण्य प्रदाता हैं। टीकमचंद, मुकेश जैन बड़ोल, सुरेन्द्र बाकलीवाल, विवेक गंगवाल, सुभाष लुहाडिय़ा ने दीप प्रज्ज्वलन किया। धीरज चांदवाड़, राजेंद्र पाण्ड्या, निहाल ठोल्या, अशोक पाटनी, संजय बाकलीवाल, गुलाबचंद अजमेरा ने चित्र अनावरण किया।
इसके बाद मुनि पूज्य सागर की शांतिधारा से दीक्षार्थी सुनील ने जिनेन्द्र भगवान का अंतिम अभिषेक किया। रंजना-अजीत जैन गुवाहाटी परिवार ने मुनि पूज्य सागर के महामांगलिक पाद प्रक्षालन का लाभ लिया। दीक्षार्थी सुनील ने मुनि का पाद प्रक्षालन किया। राहुल कुमार-रुचि सरावगी परिवार ने अघ्र्य चढ़ाने का लाभ लिया। मंगल कलश स्थापना के बाद सपना जैन स्वर्ण सौभाग्यवती, इंद्रा चांदवाड़, अनीता चांदवाड़, छाया गंगवाल, रेखा सेठी, अमीता सेठी, पुष्पा सेठी, सिंपल टोंग्या, कुसुम सेठी, विनोद देवी सेठी, सरोज देवी, लक्ष्मी झांझरी, अर्चना कासलीवाल, शर्मिला पांड्या ने मंगल चौक पूरण किया।
जब मन में वैराग्य आ जाए तो संयम ग्रहण कर लो
इस मौके पर प्रवचन में मुनि पूज्य सागर ने कहा कि जीवन में बहुत कुछ हमारे साथ घट जाता है। कुछ सुख के साथ घटता है, कुछ दुख के साथ। जीवन में सभी सुख पाना चाहते हैं, जो शाश्वत हो, जिसके माध्यम से कभी दु:ख का अनुभव न हो। हम जितनी साधना करते हैं उतना ही दु:ख दूर होता जाता है। धर्म दो प्रकार का होता है। एक मुनि धर्म और दूसरा साधना धर्म होता है। जो श्रावक धर्म अपनाकर मुनि धर्म को प्राप्त करता है, परमात्मा अवश्य बनता है।
उन्होंने कहा कि दीक्षा लेने की कोई उम्र नहीं होती है। जब मन में वैराग्य आ जाए उसी समय नियम संयम को ग्रहण कर सकते हैं। प्रवचन के बाद श्रावक के माता-पिता सरिता व प्रद्युम्न, सुशीला बज, जतिन बज व समाजजनों ने छोर भराई रस्म पूरी की। दीक्षार्थी के निवेदन और समाज से क्षमा याचना के बाद मुनि पूज्य सागर ने मंत्रोच्चारके साथ दीक्षा क्रिया करते हुए विधि विधान से दीक्षार्थी का केशलौच किया। दीक्षार्थी ने वस्त्र त्याग किए। मुनि पूज्य सागर ने दीक्षार्थी सुनील का नामकरण करते हुए ‘क्षुल्लक दिग्दर्शन सागरÓ नाम की घोषणा की। इसके साथ ही सभागार जयकारों से गूंज उठा।

ये रहे लाभार्थी
इसके बाद लाभार्थी शैलेष-रेखा सेठी ने पिच्छिका, अरुण सेठी, पुष्पा सेठी व आयुष ने शास्त्र, प्रमोद टोंग्या, सिंपल टोंग्या, शांतिलाल, विनोद कुमार ने कमंडल, सन्मत, जितेंद्र सेठी, सपना सेठी ने वस्त्र भेंट का लाभ लिया। जापमाला भेंट का लाभ आसुलाला, प्रकाश कासलीवाल, अर्चना कासलीवाल एवं पात्र भेंट का लाभ रितेश सेठी व अनीता सेठी को मिला। राकेश, बसंतीलाल, शशिप्रभा पाटनी ने मुनि को नवीन पिच्छिका भेंट की जबकि जयकुमार गोधा, सुभाष, मनीष लुहाडिय़ा ने आरती उतारी। मुनि की पुरानी पिच्छी को दिलीप-नवीना बडज़ातिया चेन्नई ने प्राप्त किया। आयोजन के दौरान अंतर्मुखी परिवार ने श्रवणबेलगोला बाहुबली इंजीनियरिंग कॉलेज को प्रोजेक्टर भेंट किया, जिसे नागेंद्र प्रसाद ने ग्रहण किया। आचार्य भद्रबाहु विधान पुस्तक का विमोचन भी हुआ। संचालन तरुण ने किया।

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