बेंगलूरु ग्रामीण, दावणगेरे, बल्लारी, रायचूर-यादगिर, मैसूर,-मंड्या, कलबुर्गी तथा धारवाड़ में उम्मीदवार उतारे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरी तरह जनविरोधी रहा है। चुनाव नजदीक आते ही पूंजीवादी राजनीतिक पार्टियों की गतिविधियां तेज हो गई हैं।
दलबदलू, गठबंधन का गठन, आपसी निंदा, एक दूसरे की खिंचाई जोरों से चल रही है। देश की जनता से अच्छे दिन का वादा कर सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार ने कार्पोरेट तथा पूंजीवादियों के एजेंट की तरह बर्ताव किया है। हर वर्ष दो करोड़ रोजगार सृजन नहीं किया। नोटबंदी तथा जीएसटी ने उद्यमियों, व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। इससे कईयों ने रोजगार खोया। देश में चालीस वर्ष में सबसे ज्यादा बेरोजगार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में पेश आई है। बैंकों का एनपीए 10.25 प्रतिशत हो गया है।
बैंक दिवालिया हो गए। उद्यमी बैंकों से ऋण लेकर भाग गए। देश में महंगाई आसमान छू रही है। केंद्र सरकार हर मोर्चे पर विफल हुई है। इसके चलते केन्द्र सरकार आए दिन कोई ना कोई नया जुमला व नया नारा देकर लोगों को गुमराह कर रही है। केंद्र सरकार के सरकारी आंकड़े एक तथ्य बताते हैं तो प्रधानमंत्री का बयान अलग होता है, और मंत्रियों का अलग इनमें कोई तालमेल नहीं है। जनता को गुमराह कर रहे हैं।
देश में जाति-धर्म जैसे भावनात्मक मुद्दों को आगे रखकर भाजपा चुनाव लड़ रही है। इनके पास कोई योजना नहीं है। भुवना, शरणबसव, लक्ष्मण जग्गण्णवर, गंगाधर बडिगेर आदि उपस्थित थे।