मुनि ने कहा शांतिनाथ भगवान का अनुष्ठान चल रहा है और दो बार जाप होता है और यह जाप का प्रभाव है। शांतिनाथ भगवान 16 वें तीर्थंकर हंै। आज 15 और 16 एक ही दिन में दो मास खमण का प्रत्याख्यान हो रहा है। दोनों परिवार समृद्ध हैं व दोनों ही 6 भाइयों का परिवार है। मेरे भी 6 भाई व गुरुदेव तुलसी के भी 6 भाई। वर्तमान में चौके छक्के का जोर है। तपस्या अपने कर्म निर्जरा के लिए की जाती है। उसके साथ सांसारिक काम तो अपने आप बन जाते हैं। तपस्या का मूल लक्ष्य आत्म शुद्धि ही हो। मुनि ने कहा गुरुदेव की कृपा से व साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के पावन संदेश से लोगों का उत्साह वर्धन हो जाता है। इस अवसर पर मुनि ने दोनों तपस्वियों के उत्साहवर्धन के लिए स्व रचित अलग-अलग गीतों का संगान किया। मुनि ने शांतिनगर में श्रावक-श्राविकाओ के प्रति भी प्रमोद भावना व्यक्त की और कहा यह चौमासा समग्र जैन समाज के लाभ लेने से सफल हुआ है। हनुमंतनगर में प्रवासित मुनि सुधाकर, साध्वी कंचनप्रभा, साध्वी मंजू रेखा, लावण्याश्री,आणिमाश्री,उज्जवलप्रभा,मंगलप्रज्ञा ने भी समय-समय पर शांतिनगर पहुंचकर शोभा बढ़ाई है। साध्वी लावण्याश्री का आना नहीं हुआ तो उन्होंने अपने भावों द्वारा अभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर मुनि सुधाकर ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए मुनि के विहार की मंगल कामना व्यक्त की। साध्वी प्रमुखा के प्राप्त संदेशों का वाचन नरेंद्र नाहटा एवं पारसमल भंसाली ने किया। कृतज्ञता व्यक्त करते हुए दिलीप भंसाली ने अपनी भावना व्यक्त की। तपस्वियों का सम्मान गुलाब देवी सुखानी, सरोज सेठिया, प्रकाश भूरा, रितेश चोरङिय़ा, धर्मेश कोठारी ने किया। मुनि सुबह 10:15 बजे शांतिनगर में मंगल पाठ सुना कर जीवनहल्ली केआर पुरम होते हुए होसकोटे पहुंचे। रास्ते की सेवा में विशाल रायसोनी, विशाल भंसाली, राकेश चौरडिय़ा, नरेंद्र नाहटा, जितेंद्र घोषल, अशोक कोठारी, अभिषेक बलडोटा व धर्मचंद धोका शामिल रहे।