विश्व में अब तक इसके करीब 90 मामले सामने आए हैं। एक हालिया अध्ययन के अनुसार 10 लाख में से दो लोग इस ट्यूमर के शिकार होते हैं, जबकि 0.2 फीसदी मामलों में यह ट्यूमर उच्च रक्तचाप का कारण बनता है। ट्यूमर बेनाइन (गैर कैंसरयुक्त) था। इसके फटने से स्ट्रोक, हृदयघात या फिर मरीज की मौत का खतरा भी था।
प्रेस क्लब में मंगलवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मणिपाल अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. प्रवीण एमजी ने बताया कि दो चरण में पहले आगे और फिर पीछे से ऑपरेशन हुआ। सर्जरी में 10 घंटे का समय लगा। ट्यूमर निकालने के बाद रीढ़ का पुनर्निर्माण करना पड़ा। 5.7 सेंटीमीटर का यह ट्यूमर कैटेकोलामाइन (catecholamine) नामक हार्मोन स्रावित कर रहा था। इस कारण मरीज को उच्च रक्तचाप की समस्या भी हो गई थी। ट्यूमर अगर अनियंत्रित रूप से फट जाता तो अतिरिक्त हार्मोन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता था। मरीज की जान भी जा सकती थी।
कैंसर देखभाल विशेषज्ञ डॉ. शब्बेर जवेरी ने कहा कि पैरागंगलिओमा (paraganglioma) का यह दुर्लभ मामला था। पैरागंगलिओमा अत्यधिक संवहनी घाव (वैस्कुलर लेशन्स) है। ऐसे मामलों में ऑपरेशन के दौरान अत्याधिक रक्तस्राव होता है। ट्यूमर तक रक्त की आपूर्ति रोकने के लिए ऑपरेशन से पहले मरीज को एंडोवैस्कुलर एम्बोलिजेशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। इसमें शरीर के निश्चित हिस्से में रक्तस्राव रोका जाता है।
न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. बोपन्ना केएम ने बताया कि मरीज जगदीश एक वर्ष से उच्च रक्तचाप (Hypertension) की दवा खा रहा था। आठ माह से कुल्हे के निचले हस्से में दर्द और वजन घटने की शिकायत लेकर वह अस्पताल आया था।