भावात्मक परिवर्तन में मोहनीय कर्म का योग
धर्मसभा में बोले आचार्य महाश्रमण
भावात्मक परिवर्तन में मोहनीय कर्म का योग
बेंगलूरु. अहिंसा यात्रा का कारवां आचार्य महाश्रमण के नेतृत्व में नशामुक्ति का संदेश देते हुए कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में एक नई धार्मिक क्रांति ला रहा है। शुक्रवार को आचार्य महाश्रमण बिरूर से लगभग 12 किलोमीटर पदयात्रा कर चट्टनहल्ली स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल पहुंचे। रास्ते में कई गांव के लोगों को आचार्य के दर्शन और मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला।
गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में आचार्य ने उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आदमी के भीतर भावात्मक परिवर्तन होता है। किसी समय आदमी के मन में क्या विचार होता है और कुछ ही समय बाद दूसरा विचार उभर जाता है। कभी वह शांत रहता है तो कभी क्रोधाविष्ट हो जाता है। इस प्रकार मन के चित्र पट पर विभिन्न दृश्य उभरते रह सकते हैं। मानों भीतर में भावों का सिनेमा चलता रहता है।
भावात्मक परिवर्तन की पृष्ठभूमि में मोहनीय कर्म का योग रहता है। आदमी को मोहनीय कर्म को कृश बनाने का प्रयास करना चाहिए। नकारात्मक और सकारात्मक दोनों भाव में संघर्ष होता है। उस संघर्ष में आखिर सकारात्मक भावों की विजय हो, यह अभिलषणीय है। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया। कार्यक्रम से पहले और बाद में भी कई ग्रामीण आचार्य प्रवर की मंगल सन्निधि में पहुंचे। हालांकि वे हिंदी व अंग्रेजी भाषा से अनभिज्ञ थे, किंतु आचार्य ने उन्हें संकेत आदि के द्वारा ही पावन प्रतिबोध प्रदान कर दिया।
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