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बैंगलोर

एशिया का पहला संस्थान जिसने पढ़ाई सिनेमोटोग्राफी और साउंड इंजीनियरिंग

आजादी से पहले वर्ष 1943 में स्थापना
भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की प्रेरणा से मैसूरु के वाडियार घराने के शासनकाल में स्थापित संस्थान

बैंगलोरAug 24, 2019 / 12:45 am

Rajendra Vyas

एशिया का पहला संस्थान जिसने पढ़ाई सिनेमोटोग्राफी और साउंड इंजीनियरिंग

एशिया का पहला संस्थान जिसने पढ़ाई सिनेमोटोग्राफी और साउंड इंजीनियरिंग

संजय कुलकर्णी
बेंगलूरु. शहर में कृष्णराजा चौराहे के निकट स्थित श्रीजयचामराजेंद्र पॉलीटेक्निक (एसजेपी) शिक्षा संस्थान एक अनूठा तकनीकी शिक्षा संस्थान है जिसकी स्थापना आजादी से पहले 2 अगस्त वर्ष 1943 में हुई है। आज यह संस्थान स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की प्रेरणा से मैसूरु के वाडियार घराने के शासनकाल में स्थापित संस्थान की विशेषता यह है कि यहां सिनेमोटोग्राफी तथा ध्वनि अभियांत्रिकी (साउंड इंजीनियरिंग) का पाठ्यक्रम शामिल था। तब ये पाठ्यक्रम मुहैया करने वाला यह पूरे एशिया महाद्वीप का पहला तकनीकी शिक्षा संस्थान था। देश, विदेश के कई विद्यार्थी इन पाठ्यक्रम के लिए ही प्रवेश लेते थे। 1943 में वाडियार परिवार न संस्थान की स्थापना की खातिर 2 लाख रुपए का दान दिया। मैसूरु क्षेत्र के लघु उद्यमों को कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराना, संस्थान का लक्ष्य था। दूसरे महायुद्ध के दौरान यहां पर सैनिकों के दो दलों को ‘वायरलेसÓ उपकरण उपयोग करने के प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के लिए अद्यतन सुविधायुक्त रेडियो लैब बनाई गई। वर्तमान में इस शिक्षा संस्थान में विभिन्न 13 तकनीकी संकाय के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है।
पूर्व विद्यार्थियों की सूची में शामिल दिग्गज
संस्थान के पूर्व विद्यार्थियों की सूची इसकी महत्ता की गाथा बयां करती है। कई विद्यार्थियों ने कैमरामैन बनकर बॉलीवुड, संदलवुड सहित देश के तमाम फिल्म उद्योग में कैमरे के पीछे कमाल दिखाते हुए कालजयी फिल्मों की सफलता में योगदान दिया है। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित कैमरामैन वीके मूर्ति, गोविंद निहलानी, कोडेक कृष्णन, घनश्याम महापात्रा, आनएन जयगोपाल, आरएन कृष्णप्रसाद, बीसी गौरीशंकर, बीसी बसवराजू, एसवी श्रीनिवासन, बी. मरुलप्पा, बेंगलूरु नागेश तथा जेमिनी राजेंद्र जैसी प्रतिभाएं इस शिक्षा संस्थान की देन है। यहां पश्चिम बंगाल तथा महाराष्ट्र के विद्यार्थियों शिक्षा पाई और फिल्म उद्योग में तकनीक को स्थापित किया। एसजेपी की ओर से ‘मैसूरु खेड्डा’ (जंगली हाथियों को पकडऩे की तकनीक) पर आधारित तथा अन्य विषयों में कई डाक्यूमेंट्री (लघुफिल्म) का निर्माण किया। जिनको कई अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है। डाक्यूमेंट्री बनाने का दायित्व विद्यार्थियों को सौंप कर मेधा को प्रोत्साहित करने का प्रयास इस संस्थान की विशेषता है।
क्या कहते हैं पूर्व विद्यार्थी
संस्था के पूर्व विद्यार्थी बॉलीवुड तथा संदलवुड की कई सदाबहार फिल्मों के कैमरामैन रहे सीएस बसवराजू के मुताबिक पूरे देश में एसजेपी जैसा अन्य कोई शिक्षा संस्थान नहीं है। आजादी से पहले ही ऐसे संस्थान की स्थापना करना मैसूरु राजघराने की विकासपरक प्रशासन की मिसाल है। सर एम विश्वेश्वरय्या ने मैसूरु राजघराने के सहयोग से भद्रावती लौह अयस्क इकाई, बेंगलूरु में संदल सोप कारखाना, तत्कालीन स्टैट बैंक ऑफ मैसूरु जैसी संस्थाओं की स्थापना कर लघु, उद्यम क्षेत्र को नया आयाम दिया था। तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में एसजेपी का योगदान एक नजीर है।

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