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बैंगलोर

खाली पड़ा है नवनिर्मित अदालत भवन

एशिया के सबसे बड़े सेंट्रलाइज्ड वातानूकुलित व्यवस्था वाले तालुक स्तरीय न्यायालयों के भवन के उद्घाटन के दो माह बाद भी अदालत का स्थानांतरण नहीं हुआ है।

बैंगलोरOct 14, 2018 / 12:09 am

शंकर शर्मा

खाली पड़ा है नवनिर्मित अदालत भवन

खाली पड़ा है नवनिर्मित अदालत भवन

हुब्बल्ली. एशिया के सबसे बड़े सेंट्रलाइज्ड वातानूकुलित व्यवस्था वाले तालुक स्तरीय न्यायालयों के भवन के उद्घाटन के दो माह बाद भी अदालत का स्थानांतरण नहीं हुआ है। इससे यह नवनिर्मित अदालत भवन खाली पड़ा है।


शहर के तिम्मसागर में 122 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित वृहद न्यायालय भवन अभी सूना पड़ा है। बारह अगस्त को आयोजित उद्घाटन समारोह न्यायपालिका विभाग तथा लोक निर्माण विभाग स्थानांतरण विषय में उतनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। बदबू भरे पुराने कोर्ट भवन से अत्याधुनिक सुविधाओं वाले नए न्यायालय भवन को स्थानांतरित करने में कतरा रहे हैं।


लोक निर्माण विभाग निर्वाह करेगा यह समझ कर न्यायपालिका चुप है। वहीं दूसरी ओर सरकार का आदेश नहीं आया है यह लोक निर्माण विभाग कह रहा है। नए न्यायालय भवन की देखरेख के लिए वार्षिक 5.27 करोड़ रुपए जारी करने की मांग कर न्यायपालिका विभाग ने सरकार को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने एक सप्ताह में पैसा मंजूर करने का आश्वासन दिया था जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इससे उत्तर कर्नाटक की अनदेखी जारी है। न्यायालय भवन की संपूर्ण देखरेख किसकी है यह असमंजस जारी है। इस बारे में सरकार की ओर से स्पष्ट आदेश देने की आवश्यकता है।


चार लाख रुपए प्रति माह विद्युत बिल
नवनिर्मित न्यायालय भवन के बिजली की बिल की जिम्मेदारी न्यायपालिका विभाग के कंधों पर आ गई है।
विद्युत बिल जमा करने के लिए न्यायपालिका विभाग ने हां भरी है। पुरानी यानी पहले के 38 लाख रुपए विद्युत बिल की बकाया राशि की भी भरपाई की जाएगी।


लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने बताया कि प्रतिमाह 3 से 4 लाख रुपए विद्युत बिल आएगा। कोर्ट भवन का उद्घाटन हो कर दो माह का समय गुजर चुका है। यानी 8 लाख रुपए बिजली का बिल बेकार में अतिरिक्त बोझ बना हुआ है। पुराने कोर्ट के बिजली के बिल को भरना है। ऐसे जनता के पैसों को बेकार न कर नए कोर्ट भवन में अदालत स्थानांतरण होने पर सारी समस्याओं का समाधान होगा।

अधिकारी कहिन
नवनिर्मित न्यायालय भवन की देखरेख के लिए संबंधित राज्य सरकार की ओर से हमें कोई आदेश नहीं दिया गया है। अतिशीघ्र सरकार निर्देश दे सकती है। बाद में टेंडर आमंत्रित कर कोर्ट स्थानांतरण की तारीख निर्धारित की जाएगी।
यमकनमरडी, सहायक कार्यकारी अभियंता, लोक निर्माण विभाग, हुब्बल्ली।

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