रेलवे हेरिटेज रेल खंडों को बना रहा पर्यटन महत्व का
बेंगलूरु रेल मंडल ने हेरिटेज रेल खंडों को पुनर्विकसित करने का मन बना लिया है। इन रेल खंडों के विकास से जहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं पर्यटक कर्नाटक की विरासत से रूबरू हो सकेंगे। इनमें प्रमुख रूप से बेंगलूरु-चिक्कबल्लापुर खंड का नंदी रेलवे स्टेशन शामिल है। वर्ष 1916 में बना यह रेलवे स्टेशन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादों को समेटे हुए है। बताया जाता है कि महात्मा गांधी जब बीमार पड़े थे तो चिकित्सकों ने उन्हें नंदी की पहाडिय़ों पर सात दिन विश्राम करने की सलाह दी थी। महात्मा गांधी ने यहां सात दिन स्वास्थ्य लाभ लिया था।
अपर मंडल रेल प्रबंधक (प्रशासन) कुसुमा हरिप्रसाद ने बताया कि हेरिटेज बेंगलूरु-चिक्कबल्लापुर और कोलार-जोलारपेट लाइनों के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए डोड्डजाल, देवनहल्ली, अवतिहल्ली, नंदी हॉल्ट, चिक्कबल्लापुर, चिंतामणि, कोलार, कोरोमंडल, उर्गम और बीईएमएल जैसे कई रेलवे स्टेशनों की पहचान की है। रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को अपग्रेड भी किया जा रहा है। पहले चरण में बेंंगलूरु-चिक्कबल्लापुर-कोलार लाइट रेललाइन पर 04 स्टेशनों डोड्डजाल, देवनहल्ली, अवतिहल्ली और नंदी हॉल्ट को चुना गया है। यह लाइन कर्नाटक राज्य की पहली रेलवे थी जिसे 1908 में मद्रास और दक्षिणी मराठा रेलवे कंपनी के साथ एक पूरक समझौते के साथ राज्य की गारंटी के तहत एक निजी उद्यम द्वारा शुरू किया गया था। 38.63 मील के इस खंड में 6 अप्रेल 1915 और 7 जनवरी 1918 के बीच 4 चरणों में रेल सेवाएं शुरू की थीं।107 साल पहले बने नंदी स्टेशन का अतीत यहां की पारंपरिक संरचनाएं बताती हैं। यह न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है बल्कि आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है। इन स्टेशन भवनों की मिश्रित वास्तुकला पुराने मैसूरु क्षेत्र के कई पुराने रेलवे स्टेशनों से मिलती जुलती है। इनका निर्माण औपनिवेशिक काल के दौरान मैसूरु राज्य द्वारा किया गया था। नंदी रेलवे स्टेशन के अलावा, जिसे बाद में विस्तारित किया गया, इन स्टेशनों की इमारतों का वास्तुशिल्प डिजाइन एक समान है। इन संरचनाओं में औपनिवेशिक वास्तुकला और स्थानीय वास्तुकला का अच्छा मिश्रण है। इन इमारतों की केंद्रीय मुख्य संरचना में चार-तरफा मेंगलूरु टाइल वाली गैबल छत है, जिसमें प्रत्येक गैबल में एक गोलाकार कांच की खिडक़ी है। मुख्य संरचना में पाया गया एक छोटा गलियारा और स्थानीय कडप्पा पत्थर का फर्श स्थानीय वास्तुकला के प्रभाव को दर्शाता है।
कुसुमा हरिप्रसाद ने बताया कि सभी चार स्टेशन भवनों में एक हॉल, एक छोटा भंडारण कक्ष और एक गलियारा शामिल है। नंदी हॉल्ट क्षेत्रफल में बड़ा है और नंदी हिल के सामने मैदान के केंद्र में स्थित है और इसमें तीन हॉल हैं। निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री जैसे मेंंगलूरु टाइलें जिनमें चूना मोर्टार और कडप्पा पत्थर शामिल हैं, स्थानीय मूल की हैं। इमारत 100 साल से अधिक पुरानी है और टूट-फूट के कारण जर्जर हो चुकी है और छत की टाइलें अस्त-व्यस्त हैं और इमारत में दरारें आ गई हैं। इमारत के ढांचे को अक्षुण्ण रखने के लिए एक ऐसे संगठन को खोजने के लिए गहन प्रयास किए गए जो उपरोक्त कार्य कर सके। रेलवे ने इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट की बेंगलूरु शाखा से संपर्क किया। यह सुंगठन विरासत को संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए समर्पित संगठन है।दक्षिण पश्चिम रेलवे के बेंगलूरु डिवीजन ने ऐतिहासिक मीटरगेज लाइन पर चार स्टेशनों के पुनरुद्धार कार्यों को निष्पादित करने के लिए 25 फरवरी 2021 को आईएनटीएसी कॉर्पोरेशन की बेंगलुरु शाखा के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
परियोजना का मुख्य उद्देश्य इमारतों के कुछ हिस्सों को प्रदर्शनी केंद्रों और कला में परिवर्तित करना था। इन चार स्टेशनों पर रेलवे की सांस्कृतिक और स्मारकीय विरासत को प्रदर्शित करने के लिए गैलरी बनाई जाएंगी। मूल उद्देश्य चार विरासत स्टेशनों के आसपास बुनियादी ढांचे का विकास/प्रदान करना था। देवनहल्ली और नंदी हॉल्ट स्टेशनों के आसपास पर्यटकों के आकर्षण और ऐतिहासिक महत्व हैं। कई लोग जो इन स्टेशनों के पास नंदी हिल, भोगा नंदीश्वर मंदिर हैदरअली का किला, सोमेश्वर मंदिर आदि स्थानों पर जाते हैं, उपरोक्त ट्रेनों से यात्रा कर सकते हैं।