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बैंगलोर

सादगी के बिना सुख-शांति नहीं: आचार्य देवेंद्रसागर

धर्मसभा का आयोजन

बैंगलोरApr 12, 2021 / 08:27 am

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. जयनगर के राजस्थान जैन मूर्तिपूजक संघ में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने कहा कि मनुष्य की मूल प्रकृति निर्दोष, सहज और आनंद से परिपूर्ण जीवन जीना है, जबकि आज मनुष्य का जीवन यंत्रों और उपकरणों पर निर्भर हो गया है। इसलिए मनुष्य को आवश्यकताओं के अनुकूल ग्रहण करना चाहिए और इससे आगे कोई लालसा नहीं रखनी चाहिए। यही सादगी का जीवन है।
सादगी को अपनाए बिना सुख-शांति प्राप्त नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि जीवन में वैज्ञानिक और तकनीकी आविष्कारों की उपयोगिता से भी इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसी से मानव की सोच आधुनिक हुई है। उसके जीवन में आर्थिक प्रगति हुई है और जीवन स्तर में सुधार हुआ है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि मानव सुख-सुविधाओं और भोग-विलास में पडक़र नैतिक पतन की ओर बढऩे लगा है।
अध्यात्म स्वयं को सुधारने, जानने और संवारने का मार्ग है। यह स्वयं का अध्ययन है और भाव संवेदनाओं का जागरण है, आत्म तत्व का बोध है, धर्म का मर्म है और स्व का ध्यान है।

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