सादगी को अपनाए बिना सुख-शांति प्राप्त नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि जीवन में वैज्ञानिक और तकनीकी आविष्कारों की उपयोगिता से भी इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसी से मानव की सोच आधुनिक हुई है। उसके जीवन में आर्थिक प्रगति हुई है और जीवन स्तर में सुधार हुआ है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि मानव सुख-सुविधाओं और भोग-विलास में पडक़र नैतिक पतन की ओर बढऩे लगा है।
उन्होंने कहा कि जीवन में वैज्ञानिक और तकनीकी आविष्कारों की उपयोगिता से भी इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसी से मानव की सोच आधुनिक हुई है। उसके जीवन में आर्थिक प्रगति हुई है और जीवन स्तर में सुधार हुआ है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि मानव सुख-सुविधाओं और भोग-विलास में पडक़र नैतिक पतन की ओर बढऩे लगा है।
अध्यात्म स्वयं को सुधारने, जानने और संवारने का मार्ग है। यह स्वयं का अध्ययन है और भाव संवेदनाओं का जागरण है, आत्म तत्व का बोध है, धर्म का मर्म है और स्व का ध्यान है।