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बैंगलोर

प्लाज्मा दान करने से कतरा रहे हैं कोविड को हरा चुके मरीज

बेंगलूरु में अब तक 25 की थेरेपी, तीन की मौत, छह स्वस्थ और 16 अब भी उपचाराधीन

बैंगलोरAug 03, 2020 / 10:39 pm

Nikhil Kumar

Plasma therapy : कोरोना को मात देने वालों के रक्त से होगा कोरोना का उपचार!

Plasma therapy : कोरोना को मात देने वालों के रक्त से होगा कोरोना का उपचार!

– हुब्बल्ली में बेंगलूरु से ज्यादा कारगर रही थेरेपी, 12 की बची जान

निखिल कुमार

बेंगलूरु.

कर्नाटक में कोरोना संक्रमण के मामले में तेजी से उछाल के बीच प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) से उम्मीदें बढ़ी हैं। बेंगलूरु में 352 सहित प्रदेश में कुल 639 मरीज आइसीयू में कोरोना वायरस से जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। प्लाज्मा थेरेपी में इन्हें बचाने की क्षमता है। मरीज तैयार हैं लेकिन चिकित्सक मजबूर हैं। उनके पास प्लाज्मा नहीं है। बेंगलूरु में प्लाज्मा बैंक (Plasma Bank) भी शुरू हो गया है। प्रदेश सरकार ने दाताओं को बतौर प्रोत्साहन राशि पांच हजार रुपए देने की घोषणा भी की है।

प्लाज्मा थेरेपी में हुब्बल्ली स्थित कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (किम्स) के परिणाम बेंगलूरु के अस्पतालों से बेहतर रहे हैं। पहली सफलता भी किम्स को मिली थी। किम्स में अब तक 12 मरीज ठीक हो चुके हैं। बेंगलूरु में अब तक 25 मरीजों का इस तरीके से इलाज किया गया है। उनमें से तीन की मौत हो गई और छह स्वस्थ हो गए। 16 अब भी उपचाराधीन हैं।

तनाव, अवसाद और घबराहट के बीच मनाना आसान नहीं

प्लाज्मा थेरेपी क्लिनिकल ट्रायल के प्रमुख और एचसीजी अस्पताल के एसोसिएट डीन डॉ. यू. एस. विशाल राव (Dr. Vishal Rao U.S.) ने बताया कि कोविड को मात दे चुके मरीज प्लाज्मा दान के लिए आगे आने से कतरा रहे हैं। ज्यादातर लोग अब भी तनाव, अवसाद, घबराहट सहित अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। लोग घर से बाहर तक निकलने को तैयार नहीं हैं। ऐसे हालत में उन्हें प्लाज्मा दान करने के लिए राजी कर पाना आसान नहीं है। प्लाज्मा की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है।

100 में से पांच ही राजी:डॉ. राव ने बताया कि कोविड के 100 पूर्व मरीजों से संपर्क करने पर करीब 10 लोग दान के लिए हामी भरते हैं। इनमें से पांच लोग ही दान के लिए पहुंचते हैं। कर्नाटक में कोविड के कुल 57 हजार से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें से करीब 21 हजार मरीज बेंगलूरु से हैं। कई प्रयासों के बाद कुल 187 लोगों ने दान के लिए पंजीकरण कराया है। रोजाना तीन से पांच लोगों को बैंक बुला दान के लिए स्क्रीन करते हैं।

एक हजार यूनिट जरूरी

डॉ. राव ने बताया कि बेंगलूरु में अब तक कुल 25 लोगों ने प्लाज्मा दान किया और इतने ही मरीजों को थेरेपी दी गई। इनमें से तीन मरीजों को बचाया नहीं जा सका। थेरेपी से पहले इनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई थी। तीनों अन्य बीमारियों से भी जूझ रहे थे। मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी टीम को कम-से-कम प्लाज्मा की एक हजार यूनिट चाहिए।

फार्मा प्रोमोशन और बैकिंग नहीं

प्लाज्मा थेरेपी से ही जुड़े एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्लाज्मा थेरेपी से जितने लोग स्वस्थ होंगे उतने ही बिस्तर अन्य मरीजों के लिए उपलब्ध होंगे। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि फार्मा प्रोमोशन और बैकिंग नहीं है। इसलिए इस पर सरकार और स्वास्थ्य महकमे का उतना ध्यान नहीं है जितना कि होना चाहिए था। एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर की तरह प्लाज्मा थेरेपी की विपणन राणनीति होती तो शायद लोग इसे हाथों हाथ लेते।

पुलिसकर्मी ने दिया प्लाज्मा, डीजीपी ने सराहा

कोरोना को हराकर जिंदगी की जंग जीतने वाले राज्य रिजर्व पुलिस बल (केएसआरपी) के आरक्षक वीरभद्रय्या ने बेंगलूरु में प्लाज्मा दान किया। पुलिस महानिदेशक प्रवीण सूद ने वीरभद्रय्या की सराहना करते हुए कहा कि इससे ठीक हुए दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।

धारवाड़ में मिले नौ दाता

पहली सफलता के अगले दो माह में किम्स में 15 और मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई। इनमें से 12 मरीज ठीक हुए और एक को बचाया नहीं जा सका। उपचाराधीन दो मरीजों में से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद प्लाज्मा दान करने वाले नौ लोग धारवाड़ जिले से हैं।

– डॉ. राम कॉलगुड, प्लाज्मा थेरेपी प्रभारी, किम्स, हुब्बल्ली

 

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