दिल्ली में तीन दिनों के प्रवास के दौरान सिद्धरामय्या शीर्ष नेतृत्व को यह समझाने में सफल रहे कि पार्टी में अनुशासन जरूरी है। विशेष रूप से वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्होंने आलाकमान को शीर्ष स्तर पर अनुशासन कायम करने के लिए कड़े कदम उठाने को राजी कर लिया।
उन्होंने
Congress महासचिव और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी केसी वेणुगोपाल और वरिष्ठ नेता Ak antony से चुनाव बाद प्रदेश में उपजी परिस्थितियों पर चर्चा की। बुधवार को उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से भेंट की और जन्मदिन पर उन्हें बधाई दी। इस दौरान
Rahul Gandhi से राजनीतिक मुद्दों पर गहन विचार विमर्श हुआ जिसमें गठबंधन सरकार को लेकर जारी अंतरविरोधों पर भी बात हुई।
एक तरफ सात बार के विधायक रोशन बेग को पार्टी से निलंबित कराकर सिद्धरामय्या ने अपने आलोचकों का मुंह बंद कराने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ पूरी कार्यकारिणी को भंग कराकर यह संकेत दिया है कि आलाकमान पर उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है।
प्रदेश कार्यकारिणी भंग तो हुई लेकिन उनके समर्थक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव और कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंंड्रे की कुर्सी बची रही। दिनेश गुंडूराव और ईश्वर खंड्रे के बने रहने का निर्णय पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरा है जो प्रदेश नेतृत्व में बदलाव पर जोर दे रहे हैं। कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की नजर प्रदेश अध्यक्ष पद पर है। इससे पहले कैबिनेट विस्तार में भी सिद्धरामय्या की राय मानी गई।
हालांकि, मुख्यमंत्री
HD Kumaraswamy कैबिनेट पुनर्गठन पर जोर दे रहे थे। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से भी कैबिनेट पुनर्गठन की ही मांग की थी लेकिन सिद्धरामय्या ने पुनर्गठन की जगह विस्तार करने पर जोर दिया और अंतत: उन्हीं की बात मानी गई।