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बैंगलोर

तेंदुओं की जान खतरे में

तुमकूरु और रामनगर में जिन कुओं में तेंदुए गिरे, उनमें से ज्यादातर कुएं सूखे थे। राहत की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में वन विभाग ने तेंदुओं को बचाया। चिकित्सकीय जांच और उपचार के बाद 70 में 29 तेंदुओं को स्थानांतरित किया गया। 28 तेंदुओं को बचाकर घटनास्थल पर ही छोड़ा गया।

बैंगलोरDec 13, 2019 / 04:38 pm

Nikhil Kumar

तेंदुओं की जान खतरे में

तेंदुओं की जान खतरे में

– खुले और असुरक्षित कुएं तेंदुओं के लिए आफत, एक दशक में 8 की मौत
– 10 साल में गिरे 70 तेंदुए, आठ की मौत
– भालू, हाथी, गौर, सांभर और बंगाल लोमड़ी भी बनते हैं शिकार

बेंगलूरु.

प्रदेश के खुले कुएं तेंदुओं (Leopards) के लिए आफत बन गए हैं। इसके कारण तेंदुओं की जान खतरे में है। वन्यजीव शोधकर्ता और संरक्षणवादी संजय गुब्बी, अपर्णा कोलेकर और कुवेम्वू विवि के विजय कुमार ने ‘कुएं में बिग कैट: दक्षिण भारत में तेंदुओं के लिए अपरंपरागत खतरा’ शीर्षक से प्रकाशित एक पत्र में बताया है कि वर्ष 2008 और 2017 के बीच प्रदेश के 10 जिलों में असुरक्षित कुओं (well) में तेंदुओं के गिरने के 70 मामले सामने आए हैं। उडुपी में सबसे ज्यादा 36, तुमकूरु में 9, रामनगर में 8 और उत्तर कन्नड़ में आठ मामले सामने आए हैं। मानसून (Monsoon) और पूर्व मानसून के पहले 53 फीसदी मामले सामने आएं। विशेषकर उडुपी और उत्तर कन्नड़ में जहां ज्यादा बारिश होती है।

तुमकूरु और रामनगर में जिन कुओं में तेंदुए गिरे, उनमें से ज्यादातर कुएं सूखे (Dry Well) थे। राहत की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में वन विभाग (Karnataka Forest Department) ने तेंदुओं को बचाया। चिकित्सकीय जांच और उपचार के बाद 70 में 29 तेंदुओं को स्थानांतरित किया गया। 28 तेंदुओं को बचाकर घटनास्थल पर ही छोड़ा गया।

गिरने के कारण आठ तेंदुओं की मौत हुई, जबकि पांच को चिडिय़ाघर भेजा गया। वर्ष 2008 और 2017 में ही अन्य वन्यजीवों के गिरने के 27 मामले भी सामने आए हैं। जिसमें भालू, हाथी, गौर, सांभर और बंगाल लोमड़ी आदि शामिल हैं। 27 में से 11 वन्यजीवों की मौत हो गई।

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