स्थानीय लोगों का दावा है कि जिले के कुछ गांवों मे 85 फीसदी तक लोग लिंगायत समुदाय के हैं जो हाल तक जनता दल(ध) का समर्थन कर रहे थे। लेकिन पिछले कुछ माह में इन लोगों का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढ़ रहा है जो काफी महत्वपूर्ण है। एक किसान मादप्पा का कहना है कि मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के पुत्र यतीन्द्र ने गांव के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की सूची तैयार की है। समाज सेवा संगठन के प्रमुख बी. शरणप्पा ने भी उनकी इस बात की पुष्टि की है। हालांकि, ग्रामीण जद (ध) को खूब पसंद करते हैं लेकिन मालियों, पेयजल की योजनाओं तथा सड़क संपर्क की योजनाओं के लिए कोष उपलब्ध करवाने से लोगों का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढ़ रहा है।
स्थानीय नेता व हाल में जनता दल (ध) छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए महादेव स्वामी की तरफ इशारा करते हुए ग्रामीणजन ने कहा कि वे पिछले दिनों तक जद (ध) में थे लेकिन अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने जयपुरा ब्लाक के दौरे के अवसर पर खुद उनके घर पर जाकर कुछ समय बिताया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक व पृथक धर्म का दर्जा देने के कारण लिंगायत समुदाय के लोग कांग्रेस की तरफ उन्मुख हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस मसले पर अभी इस क्षेत्र में खुलकर चर्चा तक नहीं हुई है। जयपुरा के निवासी मायण्णा का कहना है कि यहां इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि सिद्धरामय्या की सरकार ने पांच सालों में क्या किया है। उनका मानना है कि यहां पर तो वोट देते समय जाति व धर्म के आधार पर लोगों का झुकाव रहता है। जयपुरा में मुख्यमंत्री ने प्रचार किया था। इस गांव में कुल 1865 मतदाता है जिनमें नायक समुदाय के लोगों का बाहुल्य है। इसके बाद अजा, लिंगायत तथा मुस्लिम मतदाता आते हैं। इन गावों में रहने वाले लोगों की राय अलग अलग है।
पड़ोस के येलवाल ब्लाक में वोक्कालिगाओं का बाहुल्य हैं जहां लोग दलगत आधार पर बंटे हैं। कुछ लोग इस क्षेत्र के 56 गांवों के लिए पेयजल आपूर्ति की योजना का श्रेय एच.डी. कुमारस्वामी को देते हैं। पर दूसरे लोगों का कहना है कि कुमारस्वामी ने तो केवल योजना का शिलान्यास ही किया था जबकि सिद्धरामय्या ने परियोजना को मंजूरी देने के साथ ही कोष भी उपलब्ध करवाया है। लेकिन एक बात पर सभी लोग सहमत है कि ये चुनाव ऐसे हैं जैसे पहले कभी नहीं हुए और इस बार कांग्रेस व जद (ध) के बीच कड़ा मुकाबला होगा।