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बैंगलोर

बाघ को जिंदा पकडऩे या मारने के आदेश

बंडीपुर टाइगर रिजर्व व इसके आसपास के गांवों में एक बाघ को पकडऩे या मारने के लिए वन विभाग ने दिन-रात एक कर दिया है। बाघ को पकडऩे के लिए कॉम्बिंग ऑपरेशन जारी है। बाघ पर दो व्यक्तियों को मारने का आरोप है। स्थानीय लोगों की मांग है कि बाघ को पकड़ा या मारा जाए। इसके अलावा वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। लोगों में काफी गुस्सा है।

बैंगलोरOct 09, 2019 / 09:19 pm

Nikhil Kumar

बाघ को जिंदा पकडऩे या मारने के आदेश

बाघ को जिंदा पकडऩे या मारने के आदेश

-मारने या पकडऩे के आदेश
-ड्रोन, कैमरा ट्रैप और हाथियों से मदद

चामराजनगर.

दो किसानों और 14 पशुओं का शिकार करने वाले बाघ को सरकार ने जिंदा पकडऩे या मारने के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि उनकी पहली कोशिश बाघ (Tiger) को बेहोश कर पकडऩा है। कामयाबी नहीं मिलने पर ही वे बाघ को मारेंगे। हालांकि वन्यजीव प्रेमी सरकार के इस आदेश का विरोध कर रहे हैं।

बंडीपुर टाइगर रिजर्व (Bandipur Tiger Reserve) के सहायक वन संरक्षक रविकुमार ने कहा कि स्थानीय लोगों की मांग है कि बाघ को पकड़ा या मारा जाए। इसके अलावा वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। लोगों में काफी गुस्सा है। रेंज अधिकारियों की अगुवाई में पांच दलों का गठन किया गया है। वन गार्ड, वन वॉचर, उप रेंज अधिकारी सहित हर दाल में आठ लोग हैं। बाघ के होने की आशंका के आधार पर पांच जगहों को चिह्नित किया गया है। जिनमें कब्बेपुरा, हुंडीपुरा, मंगनहल्ली और गोपालस्वामी पहाड़ी स्थित चौडहल्ली शामिल हैं। ड्रोन की भी मदद ली जा रही है। बुधवार सुबह से बाघ को खोजने का प्रयास जारी है। बाघ दिखा नहीं है।

रविकुमार ने बताया कहा कि इंसानों (human) और मवेशियों की मौत हुई है। लेकिन इन मौतों के लिए एक ही बाघ जिम्मेदार है या नहीं फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है। अनुमान के अनुसार तीन से चार बाघ इलाके पर कब्जा जमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बाघ को पकडऩे का हर संभव प्रयास जारी है। चूंकि यह समतल भूमि नहीं है, इसलिए कई स्तरों पर समस्या हो रही है।

बंडीपुर टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक व फील्ड निदेशक (प्रोजेक्ट टाइगर) टी. बालचंद्र (T Balachandra) ने बताया कि करीब 40 कैमरा ट्रैप (camera trap) का इस्तेमाल पहले से हो रहा है। 100 और कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। हाथियों का भी सहारा ले रहे हैं। टैंक्यूलाइजर गन (tranquilizer gun) या पशुचिकित्सक की कमी नहीं है। पशु चिकित्सक डॉ. प्रयाग ने बताया कि डीएनए (DNA) और स्ट्राइप पैटर्न के आधार पर बाघ की पहचान सुनिश्चित की जाती है। पग मार्क (Pugmark) भी महत्वपूर्ण होते हैं।

काम आसान नहीं

कर्नाटक वन्यजीव बोर्ड के सदस्य जोसेफ हूवर के अनुसार लोगों के आक्रोश और दबाव के बीच वन विभाग का काम आसान नहीं है। बेहतर संरक्षण प्रयासों से बाघों की संख्या बढ़ी है। वन क्षेत्र अतिक्रमण के कारण वन क्षेत्र लगातार सिकुड़ रहे हैं। बाघ अपने मुख्य वन क्षेत्र से बाहर निकलने पर मजबूर हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को गोपालस्वामी पहाड़ी स्थित चौडहल्ली गांव के समीप हिन्दुपुरा में बाघ के हमले में एक किसान की मौत हो गई थी। सितंबर में भी बाघ ने एक और किसान को अपना शिकार बनाया था।


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