आचार्य ने आज के दिन कि महत्ता बताते हुए कहा कि आज के दिन 10 करोड़ आत्माओं के साथ द्रविड़ और वारिखिलाजी मोक्ष गए थे। आज का दिन पवित्र और पुण्य है। आज हजारों यात्री गिरिराज कि यात्रा करेंगे। अनंता आत्मा जहां पर मोक्ष में पधारे, जिस गिरिमाला के कण-कण पर अनंत सिध्दों का वास है। घर बैठे छह माह तक गिरिराज का ध्यान करने से आधी-व्याधि-उपाधि का नाश होता है। वैसे पावन गिरिराज कि आज भक्ति करने का अवसर हमें मिला है।
आचार्य ने कहा कि हम कितने भाग्यशाली हैं कि दक्षिण भारत वासियों के लिए साक्षात गिरिराज हमारे सन्मुख हंै। आज अनेकों यात्री दादा आदिनाथ के दर्शन के लिए आए हैं। विजय मुहूर्त में लाभार्थी परिवार द्वारा ध्वजारोहण किया गया। ध्वजा का लाभ कृष्ण,अमीचंद चित्रदुर्गा, मोहनलाल, महावीरकुमार बाफना हिरियूर एवं कुमारपाल, सतीशकुमार बाफना के.जी.एफ ने लिया। पूर्णिमा मेले का आयोजन ललितादेवी पुखराज शाह, पीयूष भाई जैन बेंगलूरु, मोहनलाल,महावीरकुमार हिरियूर, कुमारपाल, सतीशकुमार बाफना के.जी.एफ ने लाभ लिया। नव्वाणु प्रकारी एवं सत्तर भेदी पूजा पढ़ाई गई।