scriptआज का युग स्वार्थ चेतना से पीडि़त: आचार्य देवेन्द्र | Today's era is suffering from selfish consciousness: Acharya Devendra | Patrika News
बैंगलोर

आज का युग स्वार्थ चेतना से पीडि़त: आचार्य देवेन्द्र

राजाजीनगर में प्रवचन

बैंगलोरSep 28, 2020 / 02:54 pm

Santosh kumar Pandey

devendra_ji_new.jpg
बेंगलूरु. सलोत जैन आराधना में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि हाल ही में विज्ञान ने भी माना है कि मनुष्य बदल रहा है। यानि मनुष्य की शक्लो-सूरत में पिछले दस हजार वर्षों में काफी तब्दीलियां आई हैं। अपने पूर्वजों के मुकाबले आज मनुष्य का सिर और चेहरा तकरीबन 30 प्रतिशत सिकुड़ गया है। भले ही हमारी सूरत बदले, लेकिन सीरत भी बदले, हम अधिक पवित्र, सौहार्दपूर्ण एवं मानवीय हों, ताकि हमारा जीवन शांत, अहिंसक एवं आदर्श हो।
आचार्य ने कहा कि सब कुछ बदलता रहता है परंतु एक वस्तु, भाव, विचार ऐसा है जो कभी नहीं बदलता। वह है सत्य। किसी मुहावरे में कहा गया है कि सांच को आंच नहीं। जहां सत्य है वहां आंच अर्थात् अग्नि नहीं।
आचार्य ने आगे कहा कि संसार द्वंद्व इसलिए कहा गया है क्योंकि सत्य और असत्य का द्वंद्वात्मक मिश्रण ही जगत का आधार है। कभी सत्य की प्रतिष्ठा होती है तो वह युग सतयुग नाम से जाना जाता है। वहां सत्य का प्रतिशत सर्वाधिक होता है। धीरे-धीरे मनुष्य का जीवन हृदय की अपेक्षा बुद्धि की ओर झुकता चला जाता है।
जब हृदय की मात्रा कम और बुद्धि की मात्रा अधिक होती है तब कलियुग का प्रारंभ होता है। बुद्धि तर्काश्रित होती है। दया-धर्म, दान, करुणा, मैत्री, अहिंसा आदि गुण हृदयजन्य है। बुद्धि तर्क करती है, तर्क स्वार्थ प्रेरित होता है। आज का युग इसी स्वार्थ चेतना से पीडि़त है। हमारी सोच दुनिया दिखाने वाली खिड़कियां है। उन्हें साफ करते रहें, वरना रोशनी नहीं आ पाएगी।

Home / Bangalore / आज का युग स्वार्थ चेतना से पीडि़त: आचार्य देवेन्द्र

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो