विस्तार की घोषणा के बाद भाजपा में मंत्री पद को लेकर लॉबिंग तेज हो गई है। सोमवार को लगातार दूसने दिन भी राजनीतिक गतिविधियां तेज रही है। कई नेताओं ने इसे लेकर येडियूरप्पा से मुलाकात की। कई विधायक मंत्री बनाने का दबाव डालने के लिए समूह बनाने की कोशिश में जुटे रहे। जिन नेताओं का मंत्री बनना तय माना जा रहा है उनलोगों ने येडियूरप्पा से मुलाकात महत्वपूर्ण विभाग देने की मांग की और जिन लोगों के नाम को लेकर संशय है वे मुख्यमंत्री पर मंत्री बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं। सोमवार को जिन नेताओं ने येडियूरप्पा से मुलाकात की उनमें उपचुनाव में अथणी से जीते महेश कुमटहल्ली के अलावा हारने वाले ए एच विश्वनाथ और एमबीटी नागराज शामिल हैं। राजनीतिक हलकों में कुमटहल्ली को मंत्रिमंडल शामिल नहीं किए जाने की चर्चा है।
योगेश्वर को लेकर घमासान की स्थिति
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के पुराने नेताओं में संभावित मंत्रियों के तौर पर सी पी योगेश्वर के नाम को लेकर असंतोष है। पार्टी के पुराने नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव में हारे नेताओं के बजाय वरिष्ठ विधायकों को मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि सिर्फ तीन वरिष्ठ विधायकों को ही मंत्री बनाए जाने की बात कही गई है। अगर योगेश्वर को मंत्री बनाया जाता है तो वे चुनाव में हारने के बावजूद मंत्री बनने वाले दूसरा नेता होंगे। लक्ष्मण सवदी को २०१८ में चुनाव हारने के बावजूद उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। सवदी अभी विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं है। हालांकि, पार्टी ने उन्हें १७ फरवरी को होने वाले विधान परिषद की एक सीट के उपचुनाव में टिकट देने की घोषणा की है।