scriptTrue worshiper of religion - Sadhvi Sudhakanwar | मैत्री का भाव रखने वाला ही धर्म का सच्चा उपासक-साध्वी सुधाकंवर | Patrika News

मैत्री का भाव रखने वाला ही धर्म का सच्चा उपासक-साध्वी सुधाकंवर

locationबैंगलोरPublished: Sep 20, 2021 08:00:18 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा

मैत्री का भाव रखने वाला ही धर्म का सच्चा उपासक-साध्वी सुधाकंवर
मैत्री का भाव रखने वाला ही धर्म का सच्चा उपासक-साध्वी सुधाकंवर
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ हनुमंतनगर के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में साध्वी सुधाकंवर ने कहा कि क्षमापना द्वारा साधक प्रसन्नता और मैत्री के भावों को प्रशस्त करता है। जो प्राण भूत जीव, सत्व के साथ मैत्री का भाव रखता है वही धर्म का सच्चा उपासक है। क्षमापना अर्थात जो हमारी मानसिक कुंठाओं को शमन कर देती है वही है। क्षमा की सच्ची आराधना का स्वरूप है। प्रभु महावीर ने कहा है कि क्षमा कायरों का नहीं वीरों का भूषण हैं। क्रोध विष एवं क्षमा अमृत के समान है क्षमा जीवन में अमृत के समान हैं।
साध्वी सुयशाश्री ने प्रभु महावीर द्वारा प्रतिपादित दो प्रकार के धर्म-अणगार धर्म और आगार धर्म की विवेचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि अणगार धर्म जिसने संसार का त्याग कर संयम जीवन अंगीकार कर लिया है और दूसरे वे प्राणी जो गृहस्वावस्था में रहकर मर्यादित जीवन जीते हैं। इस अवसर पर टीना पीपाड़ा, संपतराज कोठारी ने भी विचार व्यक्त किए। धर्मसभा में मैसूरु संघ से प्रकाशचंद पितलिया, संपतराज कोठारी के नेतृत्व में संघ गुरु दर्शनार्थ उपस्थित हुआ। धर्मसभा में समाजसेवी रणजीतमल कानूंगा, पदमराज मेहता, सज्जनराज बाफना, शांतिलाल भंडारी, हुकमीचंद बाफना, सज्जनराज रूणवाल उपस्थित थे। सभा का संचालन सहमंत्री रोशन कुमार बाफना ने किया।
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