scriptदो देवेगौड़ा के कारण मुश्किल में सिद्धू | two devegowda create political problems for cm siddu | Patrika News
बैंगलोर

दो देवेगौड़ा के कारण मुश्किल में सिद्धू

इनमें से एक हैं पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा तो दूसरे हैं दोस्त से दुश्मन बने जी टी देवेगौड़ा। दोनों से सिद्धू का रिश्ता काफी पुराना है।

बैंगलोरApr 13, 2018 / 01:14 am

कुमार जीवेन्द्र झा

cm siddu
बेंगलूरु. राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी का खेल पुराना है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के लिए राजनीतिक तौर पर दो देवेगौड़ा इन दिनों परेशानी का सबब बने हुए हैं। इनमें से एक हैं पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा तो दूसरे हैं दोस्त से दुश्मन बने जी टी देवेगौड़ा। दोनों से सिद्धू का रिश्ता काफी पुराना है। इनमें से एक सिद्धू के राजनीतिक गुरु रहे हैं तो दूसरे उनके तीन दशक तक अजीज मित्र। लेकिन, अब गुरु और पुराने दोस्त सिद्धू के खिलाफ एकजुट हैं। दोनों चाहते हैं कि सिद्धू इस बार चुनाव हार जाएं। गुरु देवेगौड़ा कह चुके हैं कि उनके शिष्य का राजनीतिक जीवन चामुंडेश्वरी से शुरु हुआ था और वहीं उनके सियासी सफर का अंत कराने के लिए वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। देवेगौड़ा परिवार और सिद्धरामय्या की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता एक दशक से ज्यादा पुरानी है।

दरअसल, सिद्धरामय्या ने खुद विपक्ष, खासकर जनता दल ध के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेगौड़ा को अपनी राजनीतिक घेराबंदी का मौका दिया है। अपने बेटे की राजनीति में आसान और सफल प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए सिद्धू ने इस बार क्षेत्र बदला है। वरुणा सीट सिद्धू ने बेटे के लिए छोड़कर 12 साल बाद फिर से चामुंडेश्वरी लौटने का फैसला किया, जहां से वे पांच बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि, नए परिसीमन के बाद चामुंडेश्वरी के राजनीति व जातीय समीकरण बदल चुके हैं और इसी कारण 2008 में सिद्धू वरुणा चले गए थे। चामुुंडेश्वरी से अभी जनता दल ध के जी टी देवेगौड़ा विधायक हैं और पार्टी के उम्मीदवार भी। करीब 2.89 लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में वोक्कालिगा मतदाताओं की तादाद 70 हजार से ज्यादा है और दोनों देवेगौड़ा भी इसी समुदाय से आते हैं। लिंगायत मतदाताओं की संख्या 40 हजार के करीब है। यही जातीय गणित सिद्धरामय्या केे लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। सिद्धरामय्या की घेराबंदी के लिए भाजपा के भी जद ध का साथ देने की चर्चा सियासी हलकों में है। जनता दल ध छोड़कर सिद्धू जब 2006 में कांग्रेस में आए थे तो भाजपा और जद ध की घेराबंदी के कारण चामुंडेश्वरी उपचुनाव में 300 से भी कम मतों से जीत पाए थे। सीमकरणों को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान सिद्धू को चामुंडेश्वरी के साथ बागलकोट जिले के बादामी से उतारने की तैयारी कर रहा है।
shah in mysuru
सिद्धू को घर में घेरने की तैयारी
पिछले कुछ समय से सिद्धू के आक्रामक चुनाव अभियान से परेशान विपक्ष घरेलू क्षेत्र में ही उनकी घेराबंदी करने की कोशिश कर रहा है। चामुंडेश्वरी से सटे वरुणा से सिद्धू के बेटे को चुनौती देने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी एस येड्डियूरप्पा के दूसरे बेटे विजयेंद्र को उतारने की तैयारी कर रही है। भाजपा की रणनीति है कि इससे सिद्धू को सिर्फ दो सीटों तक सीमित किया जा सकेेगा क्योंकि दोनों सीटों पर सिद्धू की प्रतिष्ठा दांव पर होगी लिहाजा यहां उन्हें ज्यादा समय देना होगा। राज्य के कांग्रेस नेताओं में सिर्फ सिद्धरामय्या की भीड़ जुटाने में सक्षम हैं और इससे बाकी हिस्सों में कांग्रेस के पर प्रचार पर असर पड़ेगा। करीब 2.13 लाख मतदाताओं वाले वरुणा क्षेत्र में 60 हजार लिंगायत, 43 हजार अजा, 23 हजार जजा, 35 हजार कुरुबा और 12 हजार वोक्कालिगा मतदाता हैं। 2008 में बनी इस सीट से सिद्धू दो बार विधायक रहे हैं। पिछले पांच साल में भाजपा की ताकत यहां बढ़ी है। वरुणा क्षेत्र में जिला पंचायत की 7 में से 4 और तालुक पंचायत की 26 में से 12 सीटों पर अभी भाजपा का कब्जा है।

Home / Bangalore / दो देवेगौड़ा के कारण मुश्किल में सिद्धू

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो