अध्यात्म योगी जीवन था उपाध्याय पुष्करमुनि का: ज्ञानमुनि
अध्यात्म योगी जीवन था उपाध्याय पुष्करमुनि का: ज्ञानमुनि
बेंगलूरु. अक्कीपेट स्थित वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ स्थानक भवन में चातुर्मास प्रवचन में पण्डितरत्न ज्ञानमुनि ने उपाध्याय पुष्करमुनि की जयंती पर उन्हें गुणों के रत्नाकर बताते हुए कहा कि पुष्करमुनि विशाल ज्ञान के धनी थे। उनमें उन्नत शरीर सम्पदा के साथ ही ज्ञान सम्पदा का भी अद्भुत संगम था। उन्होंने जैन योग साधना एवं ध्यान साधना पर गहन अनुसंधान किया और उसका विशद सार जन जन के समक्ष प्रस्तुत किया। उनकी दृढ़ संयम साधना की चर्चा जैन जैनेतर सभी समाज में जन जन में फैल गई। जैन शास्त्रों को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने ज्ञान भंडारों की प्रेरणा दी और अनेक ग्रंथों का संपादन किया और विभिन्न प्रकार के सद्साहित्य का सृजन कर इस युग को एक नई राह दिखाई। इस अवसर पर कविरत्न उपाध्याय अमरमुनि की भी जन्म जयंती मनाई गई। उनके गुणानुवाद करते हुए ज्ञानमुनि ने कहा कि अमरमुनि अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। वे अपने समय के जैन शास्त्रों के प्रकांड विद्वान होने के साथ ही रामायण, महाभारत आदि अन्य धर्म शास्त्रों का भी उन्हें विशद ज्ञान था। उनकी सृजित प्रेरक काव्य कृतियां आज भी जन जन के हृदय पर अंकित हैं। उन्होंने कहा कि जिसके साथ भक्ति की शक्ति है वो दुनिया में हर बढ़ा को पार कर सकता है। जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आ जाएं लेकिन वे सच्चे भक्त का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। कठिनाइयां तो हमारी परीक्षा लेती हैं कि हमारी श्रद्धा कितनी सुदृढ़ है। जो कठिनाइयों में धैर्य रख लेता है वह निश्चित रूप से सफलता को प्राप्त कर लेता है। प्रारम्भ में लोकेशमुनि ने भी प्रेरक उद्बोधन दिया। साध्वी पुनीतज्योति की मंगल उपस्थिति रही। संघ मंत्री मोतीलाल ढ़ेलडिया ने सभा का संचालन किया।
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