विनम्रता से ही जीवन में अनेक गुण विकसित होते हैं। इस जन्म में हम सभी को मनुष्य शरीर मिला है, उसका हमें सदुपयोग करके धर्म साधना में लगाना चाहिए।
अक्कीपेट स्थित वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ स्थानक में चातुर्मास प्रवचन में ज्ञानमुनि ने कहा कि विनय और विवेक ही धर्म का मूल है। विनय और विवेक में ही सभी गुण समाए हुए हैं।
बैंगलोर•Sep 23, 2019 / 07:21 pm•
Santosh kumar Pandey
विनय और विवेक ही धर्म का मूल : ज्ञानमुनि
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