scriptरेडियोथेरेपी के लिए डेढ़ से दो महीने का इंतजार | Waiting for one and a half months for radiotherapy | Patrika News
बैंगलोर

रेडियोथेरेपी के लिए डेढ़ से दो महीने का इंतजार

चार नए मशीनों से राहत की उम्मीदहर रोज 400-500 मरीजों का उपचार किदवई पर कैंसर मरीजों का भार

बैंगलोरJun 28, 2018 / 09:55 pm

कुमार जीवेन्द्र झा

kidwai

रेडियोथेरेपी के लिए डेढ़ से दो महीने का इंतजार

बेंगलूरु. देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल गरीब मरीजों के लिए वरदान है। रोबोटिक से लेकर यहां लगभग कई आधुनिक उपचार सुविधाएं और मशीनें उपलब्ध हंै। फिर भी कैंसर के उपचार का अहम हिस्सा रेडियोथैरेपी के लिए नए मरीजों को डेढ़ से दो महीने का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके बावजूद हर दिन 400-500 मरीजों को रेडियोथेरेपी देने में अस्पताल सक्षम है।जो अपने आप में सराहनीय है।
किदवई मैमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी (केएमआइओ) के निदेशक डॉ. के. बी. लिंगे गौड़ा ने बताया, इस इंतजार का बड़ा कारण है अस्पताल पर मरीजों को बढ़ता बोझ। हर रोज करीब 1000 मरीज देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचते हैं। हर साल कैंसर के 18000 नए और 2.5 लाख पुराने मरीजों का उपचार होता है। 30 फीसदी मरीज अन्य राज्यों से होते हैं। अस्पताल में हर साल उपचार कराने वाले एक-तिहाई मरीज बेहद गरीब परिवार से होते हैं। 70 फीसदी से ज्यादा मरीज कैंसर के तीसरे या चौथे चरण में पहुंचते हैं। लगभग सभी को रेडियोथैरेपी की जरूरत पड़ती है।
ऐसे में अस्पताल पर मरीजों के बोझ का अंदाजा लगाया जा सकता है। डॉ. गौड़ा ने बताया कि किसी भी मरीज को लौटाया नहीं जाता। लाइलाज भी नहीं छोड़ते। रेडियोथैरेपी शुरू होने तक मरीज को कीमोथैरेपी व अन्य वैकल्पिक उपचार पर रखते हैं।

अब 20 नहीं 5-7 मिनट
रेडियोथैरेपी के लिए तीन लीनियर एक्सेलरेटर थे। चार नए एक्सेलरेटर मशीन का उद्घाटन गुरुवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया। इन मशीनों की कीमत लगभग 80 करोड़ रुपए है। नया एक्सेलरेटर बेहद शक्तिशाली और प्रभावी है। एक मरीज को रेडियोथैरेपी देने में करीब 20 मिनट लगते हैं। लेकिन नया एक्सेलरेटर 5-7 मिनट लेगा। ऐसे में मरीजों को अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। कोशिश है कि निकट भविष्य में मरीजों को रेडियोथेरेपी के लिए एक दिन का इंतजार भी न करना पड़े।
-डॉ. लोकेश वी, विभाग प्रमुख, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, केएमआइओ।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी
लीनियर एक्सेलरेटर लगाना लंबी प्रक्रिया है। परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र चाहिए होता है। नियमानुसार रेडियोथैरेपी विभाग में एक विशेष स्थाई चिकित्सक और दो स्थाई तकनीशियन अनिवार्य है। अतिथि चिकित्सकों से काम चलाने की इजाजत नहीं है।विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। एक्सेलेरेटर के लिए विशेष कक्ष होता है। रेडिएशन उत्सर्जन कक्ष से बाहर न निकले इसके लिए कक्ष की दीवारें और छत की मोटाई कम-से-कम डेढ़ मीटर मोटी होती है। कक्ष को बंकर कहते है। बंकर के निर्माण में ही एक वर्ष लगता है।
डॉ. एम. रविकुमार, विभाग प्रमुख, विकिरण, केएमआइओ

Home / Bangalore / रेडियोथेरेपी के लिए डेढ़ से दो महीने का इंतजार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो