दरअसल, अंतरराज्यीय सीमा विवाद को लेकर जारी वाकयुद्ध में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान के बाद तकरार और बढ़ गई। फडणवीस ने कहा कि बेलगावी, कारवार, निप्पाणी सहित मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में मिलाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखेगी। राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस बयान को भड़काऊ बताते हुए कहा कि उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा। राज्य की भूमि, जल और सीमाओं की रक्षा के लिए सरकार कटिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को दावणगेरे में कहा कि सीमा विवाद के संबंध में महाराष्ट्र की याचिका का कानूनी आधार नहीं है। याचिका राज्य पुनर्गठन अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 3 के आधार पर दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी कानूनी लड़ाई के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। मुकुल रोहतगी और उदय होल्ला के नेतृत्व में जाने-माने वकीलों की एक टीम सरकार का पक्ष रखेगी। कानूनी लड़ाई के लिए राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस शिवराज पाटिल को नियुक्त किया है।
अगले सप्ताह बैठक में होगी चर्चा
मुख्यमंत्री ने कहा ‘हम कानून के साथ-साथ संविधान का भी पालन कर रहे हैं। राज्य के भू-भाग में कोई बदलाव नहीं होगा। इस संदर्भ में एक सर्वदलीय और कानूनी विशेषज्ञों की बैठक अगले सप्ताह बुलाई गई है। बैठक में कानूनी लड़ाई के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।’ बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र के वरिष्ठ राजनेता शरद पवार बेलगावी सीमा विवाद को लेकर राजनीति करते रहे हैं। उनका सपना ना सच हुआ और ना ही भविष्य में पूरा होगा। महाराष्ट्र में जठ तालुक के लोगों ने मांग की है कि उन्हें कर्नाटक में शामिल किया जाएगा।