अपने कानों पर पहरेदारी बहुत जरूरी है-डॉ. महाप्रज्ञा
अपने कानों पर पहरेदारी बहुत जरूरी है-डॉ. महाप्रज्ञा
बेंगलूरु. श्रीरंगपट्टण के दिवाकर गुरु मिश्री राज दरबार में साध्वी डॉ. कुमुदलता आदि ठाणा सूखसाता पूर्वक विराजमान है। सोमवार को साध्वी डॉ. महाप्रज्ञा ने कहा कि अपनी सोच के प्रति जागरूक रहना एक अच्छे और साफ सुथरे तथा प्रेम से भरे जीवन के लिए बहुत जरूरी है। सोच विचारों को जन्म देती है। विचार से हमारी दृष्टि बनती है। वही आचार के रूप में क्रियान्वित होती है। अधिकतर हम देखके विचारों को विकृत नहीं बनाते जितना हम सुनके बनाते हैं। सुनना तो होता ही है, पर क्या सुनना इसका निर्णय हमारे हाथ में होना चाहिए।
हमारा हृदय हर बात सुनने का आम रास्ता नहीं है। क्योंकि जो सुनते हैं, जैसा सुनते हैं, वह धीरे धीरे हमारा आग्रह बन जाता है। किसी व्यक्ति के बारे में कुछ सुना है। सच झूठ का पता नहीं है। तब हम उसके प्रति आग्रही बन जाते हैं। तब उस व्यक्ति के साथ न्याय नहीं कर पाते। हमारे व्यवहार में हमारा पूर्वाग्रह झलकता है। और कभी कभी ही नहीं, बल्कि अधिकतर हम गलतियांं कर बैठते हैं। इसके दुष्परिणाम जीवन में मिलते हैं। जो सुनते हैं, उसकी सत्यता की परीक्षा करने के बाद ही उसे अपने विचारों का विषय बनाना चाहिए। बहुत बार केवल सुनी सुनाई बातों के आधार पर हम अपने जीवन को नरक बना देते हैं। घर की अशान्ति में हमारे कानों का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसलिये अपने कानों पर पहरेदारी बहुत जरूरी है।
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