हमें हर समय, प्रतिपल सावधान रहना चाहिए-साध्वी मणिप्रभा
हमें हर समय, प्रतिपल सावधान रहना चाहिए-साध्वी मणिप्रभा
बेेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गंगानगर (आरटी नगर) में विराजित उप प्रवर्तिन साध्वी मणिप्रभा ने कहा कि हे मुमुक्षुओं हमें हर समय, प्रतिपल सावधान रहना चाहिए। उत्तराध्ययन सूत्र में भगवान महावीर ने स्वयं अपने साधु साध्वियों से कहा ***** भारंडपक्खीव चरेप्पमत्ते” अर्थात जैसे भारंड पक्षी जिसके दो सिर होते हैं तो डबल आंखें होने के कारण वह चारों ओर देख सकता है और हमेशा सतर्क रहता है कि कोई शिकारी उस पर आक्रमण न करे। ठीक उसी प्रकार साधक को अपने आध्यात्मिक क्षेत्र में सदैव सावधानी बरतनी जरूरी है। कण मात्र भी प्रमाद आया, असावधानी हुई तो उसकी स्थिति उसी प्रकार होगी जैसे कोई पहाड़ पर खड़ा व्यक्ति जरा सा पैर फिसला कि नीचे गिरा और गिरते को कोई बचा पाए इसका कोई भरोसा नहीं। इसी प्रकार आध्यात्मिक क्षेत्र में भावों की गिरावट आए तो न जाने कितने जन्म मरण करने पड़ेंगे। साध्वी ऋ जुता ने कहा हमें संसार में भटकाने वाली हमारी आसक्ति ही है। इन्द्रियां अपने विषयों से आकर्षित होकर उन्हें भोगने का प्रयत्न करती हैं, उसके फलस्वरूप जीवात्मा को कष्ट उठाने पड़ते हैं। कहा गया है कि एक एक इन्द्रियों के वशीभूत होकर जीव अपने प्राण गंवा बैठते हैं या फिर किसी की कैद में बंध जाते हैं। इसलिए हमें इन्द्रियों के राग में नही फसना चाहिए।
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