क्षेत्र से जुड़ी एक किवदंती के अनुसार अभिषेक से निकलने वाले तरल द्रव्य विंध्यगिरि पहाड़ी के ठीक नीचे बने सरोवर में समाहित हो जाते हैं। इस तालाब को स्थानीय लोग बिली-कोला (सफेद तालाब) भी कहते हैं, इसी कारण दूध आदि पदार्थों के इसमें एकत्र होने की बात प्रचलित है। परन्तु यह तथ्य की पुष्टि एएसआई के विशेषज्ञ नहीं करते हैं क्योंकि अभिषेक के दौरान तालाब के जल के रंग में परिवर्तन नहीं होता है। कुछ लोगों का यह मानना है कि विंध्यगिरि पहाड़ी आकार-प्रकार इतना विशाल है कि प्रतिमा पर बारह वर्ष में कुछ दिनों तक चढ़ाए जाने वाले तरल पदार्थ इसकी दरारों से होते हुए जमीन में नीचे ही समा जाते हैं।