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बैंगलोर

कहां जाता है भगवान बाहुबली पर अर्पित होने वाला हजारों लीटर जल-दूध

हजारों लीटर जल, दूध आखिर कहां खो जाता है? पहाड़ी के आसपास कहीं कोई धारा क्यों नहीं दिखती?

बैंगलोरFeb 26, 2018 / 12:56 am

Ram Naresh Gautam

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श्रवणबेलगोला. हजारों लीटर जल, दूध आखिर कहां खो जाता है? पहाड़ी के आसपास कहीं कोई धारा क्यों नहीं दिखती? क्या पत्थरों की शृंखला के बीच ही समा जाता है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो सदियोंं से अनसुलझे हैं। बेशक स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच कई किवदंतियां प्रचलित हैं, मगर वैज्ञानिक और पुरातत्वविद कही-सुनी बातों से संतुष्ट नहीं हैं। यही वजह है कि इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कमर कसी है। एएसआई के इंजीनियर और पुरातत्व विशेषज्ञों का दल इस दिशा में जल्द ही जुटने वाला है।
महामस्तकाभिषेक महोत्सव के दौरान अभिषेक से निकलने वाले जल, दूध, गन्ना रस, नारियल पानी के साथ ही हल्दी व चंदन मिश्रित जल की मात्रा अधिक होती है। यह पदार्थ प्रतिदिन हजार लीटर से भी ज्यादा है, जिसमें से 600 लीटर से अधिक तो केवल दूध ही होता है। जिसका तरल हिस्सा भगवान बाहुबली की प्रतिमा के सामने की ओर बनी दरार में समाहित होता रहता है। मगर इसके बाद यह धारा कहां तक प्रवाहित है, इस बारे में सटीक जानकारी का अभाव है।
एएसआई के बेंगलूरु वृत्त की अधीक्षण पुरातत्वविद के. मूर्तेश्वरी ने कहा कि इस बारे में अभी कोई नहीं जानता कि अभिषेक के तरल द्रव्य का निकास कहां है। इसके बारे में जानकारी जुटाना कठिन काम है, लेकिन हम खोजबीन करेंगे। महामस्तकाभिषेक अनुष्ठान पूर्ण होने के उपरांत इंजीनियर और पुरातत्व विशेषज्ञों का एक दल इस काम में जुटेगा।
इसलिए किंवदंतियों पर नहीं है विश्वास
क्षेत्र से जुड़ी एक किवदंती के अनुसार अभिषेक से निकलने वाले तरल द्रव्य विंध्यगिरि पहाड़ी के ठीक नीचे बने सरोवर में समाहित हो जाते हैं। इस तालाब को स्थानीय लोग बिली-कोला (सफेद तालाब) भी कहते हैं, इसी कारण दूध आदि पदार्थों के इसमें एकत्र होने की बात प्रचलित है। परन्तु यह तथ्य की पुष्टि एएसआई के विशेषज्ञ नहीं करते हैं क्योंकि अभिषेक के दौरान तालाब के जल के रंग में परिवर्तन नहीं होता है। कुछ लोगों का यह मानना है कि विंध्यगिरि पहाड़ी आकार-प्रकार इतना विशाल है कि प्रतिमा पर बारह वर्ष में कुछ दिनों तक चढ़ाए जाने वाले तरल पदार्थ इसकी दरारों से होते हुए जमीन में नीचे ही समा जाते हैं।
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