मीडिया के इस बारे में सवालों से नाराज सिद्धरामय्या ने गुरुवार को मैसूरु में उल्टा सवाल किया कि आप लोगों को बादामी की इतनी चिंता क्यों हैं? उलझन में हम नहीं बल्कि मीडिया है। मुझसे बार-बार यह सवाल क्यों पूछा जा रहा है? उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें चामुंडेश्वरी से चुनाव लडऩे की स्वीकृति प्रदान की है। लेकिन, दूसरी तरफ बादामी के नेता व कार्यकर्ता वहां से भी चुनाव लडऩे का दबाव डाल रहे हैं। सिद्धरामय्या ने कहा कि वे केवल मुख्यमंत्री हैं, आलाकमान नहीं। इस बारे में आलाकमान ही अंतिम निर्णय करेगा।
उन्होंने कहा कि जगलूरु सीट पर टिकट से वंचित रहे एचपी राजेश को टिकट देने का निर्णय किया गया है और इस संबंध में पूर्व में टिकट पाने वाली पुष्पा को समझा लिया गया है। इसके अलावा शेष टिकट वंचित विधायकों को टिकट देने के संबंध में पार्टी आलाकमान निर्णय करेगा।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को चामुंडेश्वरी सीट से नामांकन पत्र भरने के बाद वे राज्यवायापी चुनाव प्रचार दौरे पर निकलेंगे। जिन सीटों का उन्होंने अभी तक दौरा नहीं किया है उन क्षेेत्रों के अलावा कड़े मुकाबले वाली सीटों का दौरान करेंगे।
कृष्णा ने सक्रिय राजनीति से लिया संन्यास मंड्या. जिले के वरिष्ठ राजनेता विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केआर पेट कृष्णा ने गुरुवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। चार दशक से कर्नाटक की राजनीति में सक्रिय कृष्णा की इस घोषणा से जनता दल (ध) को धक्का लगा है। पार्टी उन्हें केआर पेट से प्रत्याशी बनाने की इच्छुक थी।
उन्होंने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि पहले तो मतदाता ही राजनेताओं को चुनाव लडऩे के लिए पैसे देते थे लेकिन अब राजनेता जीतने के लिए मतदाताओं को पैसे बांट रहे हैं। यह राजनीति का पतन है और ऐसी स्थिति में किसी सज्जन प्रत्याशी का चुनाव जीतना असंभव है। सभी राजनीतिक दल करोड़पतियों को ही प्रत्याशी बना रहे हैं। उन्होंने राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार में उनके नाम या फोटो का उपयोग नहीं करने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1978 में तहसील विकास बोर्ड के सदस्य बन कर राजनीति में दस्तक देनेवाले कृष्णा ने वर्ष 1985 में केआरपेट विधानसभा क्षेत्र में केवल 32 हजार रुपए खर्च कर जीत हासिल की थी। पहली बार विधायक बने कृष्णा रामकृष्ण हेगड़े के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। उसके पश्चात 2 बाद विधायक तथा 1 बार सांसद बने थे। गत वर्ष वे जनता दल (ध) से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे। लेकिन स्वास्थ्य की समस्या के कारण राजनीति में सक्रिय नहीं थे।