नागरिक उड्डयन मंत्रालय की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 31 से अधिक बड़े शहरों में दो या उससे अधिक हवाई अड्डों की जरूरत बताई गई थी। रिपोर्ट में कहा गयाकि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में वर्ष 2040 तक तीन हवाई अड्डों की जरूरत पड़ सकती है। जिस तरह देश में उड्डयन सेवाओं का विस्तार हो रहा है, वर्ष 2040 तक इन दोनों महानगरों में दो हवाई अड्डे भी परिचानात्मक दबाव में होंगे और तीसरे हवाई अड्डे की जरूरत होगी। वर्ष 2030 तक मुंबई, दिल्ली, गोवा, बेंगलूरु आदि कई शहरों में दो हवाई अड्डों की जरूरत होगी। 2035 तक और भी कई शहरों के नाम इस सूची में जुड़ सकते हैं।
मुंबई में दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का काम चल रहा है। वर्ष 2018 में नवी मुंबई हवाई अड्डे का शिलान्यास हुआ था और वर्ष 2024 तक यहां परिचालन शुरू करने की योजना है। चेन्नई में भी बढ़ते हवाई यातायात के दबाव को देखते हुए दूसरे हवाई अड्डे के निर्माण का प्रस्ताव विचाराधीन है। गोवा के मोप्पा में बन रहे दूसरे हवाई अड्डे का परिचालन वर्ष 2022 के अंत या 2023 के प्रारंभ में शुरू होने की संभावना है। कोलकाता में भी दूसरे हवाई अड्डे की संभावना तलाशी जा
रही है।
बेंगलूरु में दूसरे हवाई अड्डे की मांग काफी समय से होती रही है। 13 साल पूर्व शहर के बाहर नए ग्रीनफील्ड केंपेगौड़ा हवाई अड्डे (केआइए) के शुरू होने से पहले शहर के मध्य में स्थित सरकारी एचएएल हवाई अड्डे से ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन होता था। लेकिन, आईटी सिटी में हवाई यातायात के बढ़ते दबाव के कारण शहर से बाहर नया हवाई अड्डा बनाया गया। इसके बाद भी एचएएल हवाई अड्डे को घरेलू और कम दूरी की उड़ानों के लिए फिर से चालू करने की मांग समय-समय पर होती रहती है। राज्य सरकार भी इसके लिए प्रयास करती रही है मगर सरकार और केआइए की परिचालक कंपनी बेंगलूरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (बीआइएएल) के बीच इस पर सहमति नहीं बन पा रही है। सरकार ने बीआइएएल को ही एचएएल हवाई अड्डे के परिचालन का प्रस्ताव भी दिया मगर बात नहीं बनी।
दरअसरल, सरकार और बीआइएएल के बीच हुए करार के मुताबिक केआइए से परिचालन शुरू होने के 25 साल यानी वर्ष 2033 तक 150 किमी के दायरे में किसी प्रतिस्पर्धी व्यवसायिक हवाई अड्डे को परिचालन की अनुमति नहीं देने की शर्त है। यही शहर में दूसरे हवाई अड्डे की राह में अवरोधक है। देश के सर्वाधिक व्यस्ततम हवाई अड्डों में से एक केआइए का दूसरा रन-वे भी चालू हो चुका है और दक्षिणी राज्यों में इस तरह की सुविधा वाला यह एकमात्र हवाई अड्डा है। लेकिन, शहर से अधिक दूरी और आवागमन के सीमित विकल्पों के कारण एचएएल हवाई अड्डे को फिर से चालू करने की मांग होती रही है।
बेंगलूरु चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज
एन शिवशंकर, उड्डयन विशेषज्ञ