क्या कर्नाटक में फिर किंगमेकर बन पाएगा जद-एस?
ये उपचुनाव 17 विधायकों को अयोग्य करार देने के कारण खाली हुई सीटों को भरने के लिए कराए गए।
बेंगलूरु. जद-एस एक बार फिर से किंग मेकर बनने की आस कर रहा है लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति तभी बनेगी जब उपचुनाव में विपक्ष के जीत वाले सीटों की संख्या दहाई में पहुंचे। जद-एस की उम्मीदों को तभी पंख लगेंगे जब भाजपा पांच सीटों से कम पर सिमट जाए। ऐसी स्थिति मेंं जद-एस की भूमिका बढ़ जाएगी। तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद जद-एस फिर से किंगमेकर की भूमिका में आ जाएगा। जद-एस के पास भाजपा सरकार को समर्थन देने या फिर कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का विकल्प रहेगा। हालांकि, जद-एस के नेता उपचुनाव परिणाम के बाद पार्टी के रूख को लेकर विरोधाभासी बयान देते रहे हैं। कुमारस्वामी और देवगौड़ा के बयान से कभी भाजपा को राहत मिलता लगता है तो कभी कांग्रेस को उम्मीद बंधता दिखता है। कांग्रेस के साथ संभावित गठजोड़ की चर्चा के बीच विश्लेषकों का मानना है कि जद-एस अपने फायदे को देखते हुए ही निर्णय लेगा। जद-एस दोनों पार्टियों के साथ सरकार चला चुकी है।
इसलिए हुआ उपचुनाव
ये उपचुनाव 17 विधायकों को अयोग्य करार देने के कारण खाली हुई सीटों को भरने के लिए कराए गए। इन विधायकों में कांग्रेस और जद-एस के बागी नेता शामिल थे। बगावत के चलते जुलाई में एचडी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जद-एस गठबंधन सरकार गिर गई थी और भाजपा के सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ। ये उपचुनाव 21 अक्टूबर को होने थे लेकिन चुनाव आयोग ने इसे पांच दिसंबर तक टाल दिया। शीर्ष न्यायालय ने अयोग्य करार दिए विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई करने का फैसला किया था।
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