आइवीएफ तकनीक की मदद
एक निजी अस्पताल के डॉ. एसआर मुदनूर (Dr. S. R. Mudanur)ने शनिवार को बताया कि दंपती 16 वर्ष की उम्र में अपना बेटा खो चुका है, उनकी दो बेटियां हैं। दंपती फिर से बच्चा चाहता था। इसके लिए बेंगलूरु में आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन – In vitro fertilization) तकनीक की मदद ली। गर्भधारण के बाद से महिला का नियमित उपचार जारी था।
दो भ्रूण रखने की सलाह दी थी
डॉ. मुदनूर ने बताया कि इस उम्र में गर्भ में चार बच्चा, मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक था। इसलिए गर्भावस्था के दौरान दो भ्रूण रखने की सलाह दी थी, लेकिन दंपती ने चारों को जन्म देने का निर्णय लिया। गत दो से तीन माह के दौरान एनीमिया, उच्च रक्तचाप और यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) के कारण परेशानी बढ़ गई थी। कई बार अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। शुक्रवार शाम प्रसव पीड़ा के बाद शाम करीब 9.30 बजे ऑपरेशन किया गया। चार में तीन शिशु का वजन करीब डेढ़-डेढ़ किलो का है, जबकि एक का वजन करीब 1.1 किलोग्राम है।
32वें सप्ताह में बच्चों ने जन्म लिया
उन्होंने बताया कि गर्भधारण के 32वें सप्ताह में बच्चों ने जन्म लिया। आम तौर पर ऐसे मामलों में छह लाख में से एक या दो मामलों में ही सभी बच्चे जीवित रहते हैं। ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण था। मां के साथ सभी शिशुओं को बचाना था, लेकिन समय रहते चिकित्सकों के दल ने मामला संभाल लिया।