scriptमुनि महापद्मसागर के दीक्षा दिवस पर हुई गुणों की वंदना | Worshiping of the properties on the initiation day of Muni Mahapadamsa | Patrika News
बैंगलोर

मुनि महापद्मसागर के दीक्षा दिवस पर हुई गुणों की वंदना

संयम महोत्सव का आयोजन

बैंगलोरFeb 27, 2021 / 04:16 pm

Yogesh Sharma

मुनि महापद्मसागर के दीक्षा दिवस पर हुई गुणों की वंदना

मुनि महापद्मसागर के दीक्षा दिवस पर हुई गुणों की वंदना

बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागरसूरीश्वर की निश्रा में शुक्रवार को मुनि महापद्मसागर का शांतिसूरि सीमन्धर स्वामी जैन मन्दिर में 23 वें संयम दिवस पर संयम महोत्सव का आयोजन हुआ। इस मौके पर आचार्य ने कहा कि दीक्षा दिवस पर यदि आप संयम धारण करते हैं तो दीक्षा दिवस मनाना सार्थक होगा। मनुष्य जन्म को एक बहुमूल्य रत्न के समान माना जाता है। जिस प्रकार किसी समुद्र में से अचानक किसी व्यक्ति को भाग्य से कोई रत्न मिल जाए तो वह बहुत भाग्यशाली व्यक्ति माना जाता है।
इसी प्रकार इस भवसागर में अनेक गतियों और भवों में भटकते हुए मनुष्य जन्म जिस जीव को प्राप्त हो जाता है तो वह जीवात्मा भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है। मनुष्य जन्म तो बहुत जीव प्राप्त कर लेते हैं परंतु वे इस सौभाग्य का महत्व नहीं पहचानते। मनुष्य जन्म के दुर्लभ अवसर को भी वे उस प्रकार खो देते हैं, जैसे कोई व्यक्ति बहुमूल्य रत्न को कांच समझ कर वापस समुद्र में फेंक देता है। मनुष्य जन्म वह अवसर है जो हमें संसार के सभी दुखों से निकालकर, अनंत स्थायी सुख व मोक्ष में पहुंचा सकता है। जन्म मरण के दुखों से छुटकारा दिला सकता है। मनुष्य जन्म के इस महत्व को वही भव्य आत्मा वास्तव में समझता है जो अपने कदम मोक्ष मार्ग पर बढ़ा देता है। दूसरे शब्दों में, मोक्ष मार्ग पर कदम बढ़ा देने वाले भव्य आत्माओं का ही मनुष्य जन्म पूर्णतया: सफल माना जाता है। मोक्ष मार्ग पर कदम बढ़ाते हुए दीक्षा का अवसर प्रत्येक मोक्षमार्गी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। दीक्षा ही एक तरह से, इस मनुष्य जन्म का सबसे बड़ा उपहार होती है जो गुरु द्वारा मोक्ष मार्ग पर चलने वाले अपने सुयोग्य शिष्यों को दी जाती है। मुनिजन, गुरुजन के लिए यदि कोई दिवस सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है तो वह यह दीक्षा दिवस ही होता है। यह दीक्षा दिवस उनके लिए एक नए जन्म की तरह ही होता है, इस दिन उनको एक नया नाम और नई पहचान प्राप्त होती है।
मुनि महापद्म सागर ने कहा कि हमारा जन्म तो उसी दिन से शुरू होता है, जिस दिन हमारी दीक्षा हुई, इससे पहले के जीवन की इतनी सार्थकता, इतना महत्व नहीं है। इसी कारण वे श्रावकों द्वारा मनाए जाने वाले अवतरण दिवस को इतना महत्व नहीं देते, पर दीक्षा दिवस को अपने लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन मानते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु गीत से हुआ। दीक्षा दिवस के मौके पर भारी संख्या में जैन समुदाय के लोग उपस्थित थे।
मुनि महापद्मसागर के दीक्षा दिवस पर हुई गुणों की वंदना

Home / Bangalore / मुनि महापद्मसागर के दीक्षा दिवस पर हुई गुणों की वंदना

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो