scriptअब येड्डियूरप्पा की अग्निपरीक्षा साबित होंगे लोकसभा चुनाव | Yeddyurappa's fire test will prove to be Lok Sabha elections | Patrika News
बैंगलोर

अब येड्डियूरप्पा की अग्निपरीक्षा साबित होंगे लोकसभा चुनाव

राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार की मुख्य साझीदार कांग्रेस के भीतर चल रही उथल-पुथल पर भले ही भाजपा की निगाहें अब भी टिकी हुई हैं लेकिन कथित तौर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा के इशारे पर चलाया गया ऑपरेशन कमल नॉन-स्टार्टर साबित हुआ है।

बैंगलोरJan 21, 2019 / 11:17 pm

शंकर शर्मा

अब येड्डियूरप्पा की अग्निपरीक्षा साबित होंगे लोकसभा चुनाव

अब येड्डियूरप्पा की अग्निपरीक्षा साबित होंगे लोकसभा चुनाव


राजीव मिश्रा
बेंगलूरु. राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार की मुख्य साझीदार कांग्रेस के भीतर चल रही उथल-पुथल पर भले ही भाजपा की निगाहें अब भी टिकी हुई हैं लेकिन कथित तौर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा के इशारे पर चलाया गया ऑपरेशन कमल नॉन-स्टार्टर साबित हुआ है। अब इसकी विफलता से पार्टी की छवि पर पड़े असर का खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ेेगा। यह लगभग तय हो चुका है कि बीएस येड्डियूरप्पा के राजनीतिक भविष्य का फैसला लोकसभा चुनावों के परिणाम तय करेंगे।


दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी अंदरूनी कलह चरम पर है। यह अलग बात है कि कांग्रेस के विपरीत आलाकमान के दबाव में मतभेद के स्वर सुनाई नहीं देते। प्रदेश के बड़े लिंगायत नेता बीएस येड्डियूरप्पा का संगठन पर अब पहले जैसा प्रभाव नहीं रहा और उनकी मुखालफत होने लगी है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के निर्णयों में अहम भूमिका निभाने वाला संघ भी येड्डियूरप्पा के साथ खड़ा नहीं है।

नेतृत्व परिवर्तन के लिए संघ पार्टी अलाकमान पर लगातार दबाव डाल रहा है लेकिन, येड्डियूरप्पा नेतृत्व छोडऩे को तैयार नहीं हैं। इन तमाम स्थितियों से वाकिफ पार्टी आलाकमान कम से कम आगामी लोकसभा चुनावों तक येड्डियूरप्पा को हटाने पर विचार नहीं कर रहा है।

लोकसभा चुनाव करीब हैं और ऐसे में पार्टी कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे बहुसंख्यक लिंगायत मतों पर कोई असर पड़े। परंतु, पार्टी में येड्डियूरप्पा का राजनीतिक भविष्य तभी आगे बढ़ेगा जब प्रदेश में पार्टी आगे बढ़ेगी। उम्र के 76 वें पड़ाव पर पहुंच चुके येड्डियूरप्पा अगर लोकसभा चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में कामयाब हुए तो कुछ समय के लिए पार्टी में उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा अन्यथा उनको हटाया जाना लगभग तय है।


भाजपा को अब विकल्प की तलाश
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश भाजपा में दूसरे स्तर का नेतृत्व तैयार नहीं है जिसका लाभ येड्डियूरप्पा को मिल रहा है। कथित तौर पर येड्डियूरप्पा शोभा करंदलांजे को आगे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन पार्टी उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं है। शोभा करंदलांजे के बढ़ते प्रभाव के कारण कई बार पार्टी में बगावत के सुर बुलंद हुए। येड्डियूरप्पा के बाद ईश्वरप्पा का नाम तो आता है लेकिन उनका पार्टी में काफी विरोध है और वो सर्वमान्य नेता नहीं हो सकते।


दूसरे बड़े लिंगायत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर का भी नाम प्रमुखता से लिया जाता है लेकिन इनमें से कोई भी नेता ऐसा नहीं है जो कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और डीके शिवकुमार जैसे दिग्गज नेताओं से निपट सके।


हालांकि, युवा नेता अनंत कुमार हेगड़े का नाम भी भाजपा में तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन उनके साथ जुड़े विवादों और दक्षिण कन्नड़ जिले तक उनके सीमित प्रभाव को देखते हुए कमान सौंपना मुश्किल नजर आता है। दूसरे स्तर के नेतृत्व का अभाव फिलहाल येड्डियूरप्पा के पक्ष में है।


सफलता दोहराने की चुनौती
सूत्रों के मुताबिक येड्डियूरप्पा ने पार्टी आलाकमान को राज्य की 28 में से 22 लोकसभा सीटें जीतने का भरोसा दिलाया और इसके बदले आलाकमान से उन्हें ऑपरेशन कमल चलाकर गठबंधन सरकार को अपदस्थ करने का इशारा मिला। लेकिन, बिना सटीक रणनीति कांग्रेस विधायकोंं पर हाथ डालकर येड्डियूरप्पा ने अपनी मुसीबत बढ़ा ली। कथित तौर पर कांग्रेस विधायकों को तोडऩे के लिए भाजपा ने कई प्रलोभन दिए। यहां तक की उनसे कहा गया कि भाजपा में शामिल होने के बाद अगर वे जीतने की स्थिति में रहे तो पार्टी टिकट देगी या नहीं जीत पाने की स्थिति में राज्य सभा भेजा जाएगा। परंतु, महज सात माह पुरानी सरकार का कोई भी विधायक चुनाव लडऩे का अभी इच्छुक नहीं है।


ऑपरेशन कमल की विफलता का एक कारण सिद्धरामय्या और डीके शिवकुमार का एक साथ आना भी रहा। जहां एक तरफ सिद्धरामय्या और डीके की जोड़ी इस प्रयास को विफल बनाने में जुटी रही, वहीं दूसरी तरफ येड्डियूरप्पा अकेले रहे। मुंबई के कुछ भाजपा नेताओं द्वारा इसका प्रयास हुआ था लेकिन सफलता नहीं मिली।

समस्या सिर्फ येड्डियूरप्पा को होगी
राजनीतिक विश्लेषक हरीश रामास्वामी के अनुसार अब लोकसभा चुनाव येड्डियूरप्पा के लिए अग्निपरीक्षा की तरह है। हालांकि, कांग्रेस-जद-एस दावा कर रहे हैं कि भाजपा लोकसभा चुनावों में एकल डिजिट में रह जाएगी लेकिन ऐसा संभवत: नहीं होगा। भाजपा को उतना नुकसान होने की उम्मीद नहीं है। फिर भी भाजपा के पास जितनी सीटें हैं उतनी सीटें फिर से हासिल करना आसान नहीं होगा। इसलिए चुनाव के बाद समस्या सिर्फ येड्डियूरप्पा के लिए होगी।

Home / Bangalore / अब येड्डियूरप्पा की अग्निपरीक्षा साबित होंगे लोकसभा चुनाव

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो