वृृतियों पर नियंत्रण करना ही योग-आचार्य महेन्द्रसागर
वृृतियों पर नियंत्रण करना ही योग-आचार्य महेन्द्रसागर
बेंगलूरु. महावीर स्वामी जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ त्यागराज नगर में विराजित आचार्य महेंद्रसागर सूरी ने कहा कि उनकी वृृतियों पर नियंत्रण करना ही योग है। अगर व्यक्ति यम और नियमों का पालन नहीं करता है तो उसे योग से पूर्ण स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल सकता। यम और नियम की विस्तार से चर्चा जरूरी है। संयम, मन, वचन और कर्म से होना चाहिए। इसका पालन ना करने से व्यक्ति का जीवन व समाज दोनों दुष्प्रभावित होते हैं। इससे मन पवित्र और मजबूत होता है तथा मानसिक शक्ति बढ़ती है। सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह , यह नियम व्यक्तिगत नैतिकता के हैं। मनुष्य को कर्तव्य परायण बनाने तथा जीवन को सुव्यवस्थित करने के लिए 5 नियमों का विधान किया गया है। ये नियम हैं शौख्, संतोष, तप, स्वाध्याय व प्रभु प्रणीधान। यम यानी मन वचन एवं काया से सत्य का पालन व मिथ्या का त्याग। जिस रूप में देखा सुना एवं अनुभव किया हो उसी रूप से बतलाना। सत्य अहिंसा दूसरा सत्य है इसमें केवल किसी को मारना ही हिंसा का रूप नहीं है, बल्कि किसी भी प्राणी को कभी भी किसी प्रकार का दुख पहुंचाना हिंसा है। अस्तेय अर्थात चोरी ना करना। धोखे से झूठ बोलकर बेईमानी से किसी चीज को प्राप्त करना भी चोरी है। जिस प्रकार अपना अधिकार नहीं उसे लेना भी उसी श्रेणी में आता है।
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